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टोक्यो। जापानी संसद सत्र के समापन के दिन आज १६ जून को निचले सदन के सम्मेलन कक्ष में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस प्रेस कांफ्रेंस में चीन द्वारा कब्जा कर लिये गए देशों के नागरिकों के प्रतिनिधियों ने जापानी सांसदों से अपनी समस्याओं के बारे में बात की। ‘फ्री इंडो-पैसिफिक एलायंस’ ने प्रेस कांफ्रेंस का समन्वय किया था। तिब्बत के लिए जापान संसदीय समर्थक समूह के पूर्व महासचिव नागाओ ताकाशी और लेखक- निबंधकार मिउरा कोटारो ने सम्मेलन की अध्यक्षता की।
जापानी संसद के निचले सदन शुगीन ने पिछली फरवरी में बिल पारित किया जिसमें चीन की आलोचना की गई और कब्जे वाले क्षेत्रों में मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने और पड़ोसी देशों में क्षेत्रीय आक्रमण के लिए उसकी निंदा की गई थी। उम्मीद की जा रही थी कि उच्च सदन (सांगीन) भी इस सत्र के दौरान विधेयक को पारित कर देगा। लेकिन उच्च सदन द्वारा विधेयक को पारित न करने और इस मुद्दे पर सांसदों से अपील करने में उसकी विफलता के मद्देनजर प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई थी।
प्रतिनिधि डॉ छेवांग ग्यालपो आर्य ने कहा कि निचले सदन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए चीन की निंदा करने वाले पिछले प्रस्ताव को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बहुत ही सकारात्मक तरीके से स्वीकार किया था। इससे दमनकारी कम्युनिस्ट शासन से पीड़ित लोगों को बहुत आशा बंधी थी। इसके अलावा, इसने चीनी नेतृत्व को सही संदेश दिया है कि दुनिया देख रही है। हालांकि, उन्होंने खेद व्यक्त किया कि विधेयक उच्च सदन में पारित नहीं हो पाया।
प्रतिनिधि आर्य ने कहा कि सीसीपी नेतृत्व युद्ध और अस्थिरता का खतरा और कारण बन गया है। जापान एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश है। यह एशिया और दुनिया में शांति और स्थिरता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे सकता है। इसे जिम्मेदारी और नेतृत्व ग्रहण करना चाहिए और मानवाधिकारों के उल्लंघन और अन्याय से पीड़ित लोगों के लिए बोलना चाहिए।
उग्यूर के गुलिस्तान एज़, दक्षिण मंगोलिया कुरिलताई के डॉ गोवरुद अर्चा, वर्ल्ड मंगोलियाई फेडरेशन के दारहाद हस्चुलु और स्टॉप मेडिका नरसंहार के नेमोतो युकिओ ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया और उच्च सदन में बिल को पारित होने पर अपना दुख और निराशा प्रकट की।
प्रतिनिधियों ने प्रेस को गंभीर स्थिति के वापस आने के बारे में अवगत कराया और डाइट (जापानी संसद) के सदस्यों से स्वतंत्रता और न्याय के लिए अपने संघर्ष का समर्थन करने का अनुरोध किया। उग्यूर प्रतिनिधि ने आंसुओं के बीच अपनी मातृभूमि में अत्याचार और बर्बरता की घटनाएं सुनाईं।