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धर्मशाला। चीनी अधिकारियों ने चीन के सिचुआन प्रांत में शामिल कर लिए गए तिब्बत के पारंपरिक अमदो प्रांत के न्गाबा के भिक्षु और प्रसिद्ध तिब्बती बौद्ध विद्वान और लेखक गो शेरब ग्यात्सो को हिरासत में ले लिया है। भिक्षु को गोशेर के नाम से भी ख्याति प्राप्त है। उनके हिरासत में लिए जाने का कारण तत्काल ज्ञात नहीं हो पाया है।
‘तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर)’ के अधिकारियों ने 26 अक्तूबर 2020 को सिचुआन प्रांत के चेंगदू से इस 45 वर्षीय भिक्षु को हिरासत में लिया था। गो शेरब ग्यात्सो की मनमानी हिरासत की खबर पांच महीने बाद सामने आई, क्योंकि उनके करीबियों ने उनकी शीघ्र रिहाई की उम्मीद में इंतजार किया था। हालांकि, गो शेरब ग्यात्सो के कुशल और ठिकाने के बारे में कोई प्रगति या खबर नहीं आई है। इसलिए हिरासत में उनकी स्थिति को लेकर बहुत से लोग चिंतित हैं।
कुछ समाचार रिपोर्टों के अनुसार, गो शेरब ग्यात्सो को टीएआर के सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में लिया था, हालांकि वह न्गाबा प्रिफेक्चर के निवासी हैं।
शेरब ग्यात्सो का जन्म 9 सितंबर 1976 को न्गाबा के खाशुल (चीनी : कक्सीउ) गांव में हुआ था। वह कम उम्र में ही कीर्ति मठ में भिक्षु बन गये और बाद में तिब्बत की राजधानी ल्हासा में ड्रेपंग और सेरा मठों में अपनी पढ़ाई जारी रखी।
इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत के अनुसार, शेरब ग्यात्सो ने तिब्बती बौद्ध दर्शन, परंपरा और संस्कृति पर कई पुस्तकें लिखी हैं। उन्होंने तिब्बती बौद्ध गुरु सोंग्खपा की आत्मकथा, शाक्य पंडित की सलाह की किताब और गेदुन चोएफेल की ‘द गोल्डन सरफेस’ पर टीकाएं भी लिखी हैं। उन्होंने तिब्बती मठवासी शिक्षा प्रणाली के बारे में भी समालोचना की है, जिसमें मठवासी समुदाय के संपर्कों को खोलने की मांग की गई है।
अक्तूबर 2020 में अपनी हिरासत से पहले, मठ की शिक्षा सेटिंग में अकादमिक स्वतंत्रता के लिए उसके अभियान के कारण उन्हें कई बार बंदी बनाया गया, सजा दी गई और मठ से जबरन निर्वासित कर दिया गया। तिब्बत विश्वविद्यालय के एक छात्र को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उन्होंने 30 मार्च 1998 से 30 नवंबर 2001 तक ‘श्रम के माध्यम से सुधार’ सत्रों में अपने दिन गुजारे थे। इसके बाद 2008 में तिब्बत भर में बड़े विरोध-प्रदर्शनों के दौरान उन्हें ल्हासा में गिरफ्तार कर एक वर्ष के लिए जेल में डाल दिया गया। 2011 में कीर्ति मठ के एक भिक्षु द्वारा न्गाबा में आत्मदाह करने के बाद उनकी गिरफ्तारी की खबर सामने आई थी।
ग्यात्सो ने 2013 में ‘मुझे बोलना है’ शीर्षक एक निबंध में एक नए कानून की निंदा की, जिसमें सभी लेखन और प्रकाशनों को वितरण से पहले शिक्षा प्रबंधन विभाग द्वारा अनुमोदित किए जाने का प्रावधान किया गया था। उन्होंने कहा कि युवा भिक्षुओं के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने का कानून कैसे चल रहा है। इससे मठवासी समुदाय में कुछ मतभेद पैदा हो गए हैं और अंततः उन्हें अपने मठ से अलग होना पड़ा। आईसीटी की रिपोर्ट के अनुसार, निष्कासन के बाद ग्यात्सो ने अपनी पढ़ाई और अपनी लेखन गतिविधियों को जारी रखने के लिए 2013 और 2016 के बीच पूर्वी तिब्बत के विभिन्न अन्य मठों की यात्राएं की।
चीनी सरकार की नीतियों का उद्देश्य अक्सर तिब्बती धर्म, भाषा और संस्कृति के महत्व को कम करना होता है। इन नीतियों का विरोध करने वाले तिब्बतियों को अक्सर चीनी अधिकारियों द्वारा निशाना बनाया जाता है और गिरफ्तार किया जाता है। शेरब ग्यात्सो की तनहा हिरासत चिंता का विषय है। विशेष रूप से ऐसे में जब चीन द्वारा लगातार अत्याचार किए जाने और यातना दिए जाने के कारण कैदियों की मौत की खबरें अक्सर आती रहती हैं।
– डीआईआईआर के संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और मानव अधिकार डेस्क द्वारा जारी