जागरण, 6 जुलाई, 2012
हजारीबाग : तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की 77 वीं जयंती पर स्थानीय जैन धर्मशाला में भारत-तिब्बत मैत्री संघ द्वारा भारत की सुरक्षा और तिब्बत विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महावीर लाल विश्वकर्मा ने पूज्य दलाई लामा की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान से ज्यादा चीन से खतरा है। एक समय था जब तिब्बत क्षेत्र में भारत को सीमा सुरक्षा के लिए 75 पुलिस अधिकारी लगाए जाते थे, पर हाल के दिनों में चीन के द्वारा तिब्बत पर अतिक्रमण से अभी सीमा पर सुरक्षा के लिए हजारों सैनिक लगाए गए हैं। चीन लगातार हमारी अर्थ व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। अगर भारत को बचाना है तो पहले तिब्बत को बचाना होगा।
वहीं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री देवदयाल कुशवाहा ने संबोधित करते हुए कहा कि एक ओर चीन लगातार भारत के विरूद्ध षड़यंत्र करते जा रही है। वहीं भारत सरकार द्वारा हिंदी-चीनी भाई भाई का नारा दिया जा रहा है। यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। चीन को सबक सीखाने के लिए उसके पेट पर लात मारना पड़ेगा और इसकी शुरूआत हम अपने घरों में चीन वस्तुओं के बहिष्कार करके कर सकते हैं।
मौके पर संघ के अध्यक्ष सुदेश कुमार चंद्रवंशी ने दलाई लामा के जीवन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला एवं तिब्बत पर चीन द्वारा चलाए जा रहे दु:चक्र के बारे में तिब्बत में चलाए जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में बताया। मौके पर रामनरेश गोप, प्रो. गंगा धर दुबे, मनोज कुमार, सौरभ जैन, युगल प्रसाद, मदन प्रसाद नंदू बाबू, राम प्रवेश ठाकुर, सुबोध श्रीवास्तव, महावीर जैन, सतीश कुमार जैन आदि उपस्थित थे।