पर्यवेक्षकों ने इस सप्ताह साक्षात्कार में आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया कि तिब्बत का नया कानून तिब्बती राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान को और कमजोर कर देगा, क्योंकि दशकों से इस क्षेत्र में हान मूल के चीनियों के प्रवास से यह पहले ही कमजोर हो चुकी हैं।
न्यूयॉर्क स्थित तिब्बत फंड के लिए चीनी संचार और आउटरीच अधिकारी कुंगा ताशी ने मंगलवार को आरएफए से बात करते हुए कहा कि उन्हें डर है कि चीन का नया कानून सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के छिपे हुए एजेंडे को पूरा करेगा और ‘तिब्बती संस्कृति और नस्ल को पूरी तरह से मिटा देगा।‘
अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को एक लिखित बयान में कहा कि तिब्बतियों के लिए सार्थक स्वायत्तता की कमी और चीन के तिब्बती क्षेत्रों में बिगड़ती मानवाधिकारों की स्थिति, तिब्बतियों की धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों पर कड़े प्रतिबंध से यह कानून गहरे तक संबंध है।‘
विदेश विभाग ने बयान में कहा कि, ‘हम चीन सरकार से तिब्बतियों की धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान का सम्मान करने का अनुरोध करते हैं, जिसमें तिब्बतियों को सभी स्तरों पर स्कूलों में तिब्बती भाषा का अध्ययन करने की आजादी मिलना शामिल है।‘
इस बीच एक लिखित बयान में अमेरिका में फ्लोरिडा से सीनेटर मार्को रूबियो ने चीन के नए नस्लीय एकता कानून को ‘तिब्बती संस्कृति के पुनर्गठन के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बयान को सुनियोजित बताते हुए कहा कि, ‘आखिरकार सीसीपी अपनी पार्टी द्वारा अनुमोदित सांचे को तिब्बत पर लागू कर रहा है जो तिब्बती समाज पर पार्टी के नियंत्रण को और कठोर करने वाला है।‘
रुबियो ने कहा, ‘हमें अपनी चिंताओं के बारे में आवाज उठानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चीन के प्रति हमारी नीति में मानवाधिकार एक अभिन्न हिस्सा है।‘
अतीत में एक स्वतंत्र राष्ट्र रहे तिब्बत पर 70 साल पहले चीन ने बलपूर्वक अवैध कब्जा कर लिया था। इसके बाद तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा और उनके हजारों अनुयायी निर्वासन में भारत पलायन कर गए थे।
चीनी अधिकारी अब तिब्बत पर और पश्चिमी चीनी प्रांतों के तिब्बती आबादी वाले क्षेत्रों में तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के साथ ही शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित कर रहे हैं और तिब्बतियों पर कड़ी पकड़ बनाए रखने के लिए उन्हें जेल, यातना और न्यायिक प्रक्रयिा से इतर हत्या कर नियंत्रित किया जा रहा है।
पहचान आगे और कम हो जाएगी
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