तिब्ब्त.नेट, 21 नवंबर, 2018
टोक्यो। वर्तमान में अपने दस दिवसीय जापान दौरे पर चल रहे तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा ने मंगलवार 20 नवंबर को जापानी संसदीय परिसर में तिब्बत समर्थक जापानी सर्वदलीय संसदीय समूह के सदस्यों से मुलाकात की। यह चौथी बार है कि जापानी संसद में परम पावन की मेजबानी की जा रही है।
16 नवंबर 2016 को परम पावन ने जापानी संसद का दौरा किया, जिसके दौरान उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के 229 सांसदों से बातचीत की। तिब्बत समर्थक जापानी सर्वदलीय संसदीय समूह दुनिया में तिब्बत समर्थक सबसे बड़ा संसदीय समूह है।
सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य हकूबुन शिमोमुरा ने जापानी संसदीय परिसर में परम पावन का स्वागत किया।
स्वागत भाषण में उन्होंने कहा, ‘परम पावन, दुनिया आपको नेतृत्व के लिए आपकी ओर देखती हैँ। आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके हम गहरे प्रशंसक हैं। आपकी सलाह हमारे लिए अंधेरे को दूर करने वाली धूप की तरह है। मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि हम भी तिब्बत मुद्दे का समर्थन करने वाले एनजीओ के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मैं उन सभी लोगों की तरफ सेआपको हमारी संसद में आने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।’
एपीजेपीजीटी के उपाध्यक्ष और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य शु वाटानाबे ने कहा, ‘हालांकि वह तिब्बती लोगों के नेता हैं, लेकिन परम पावन आज दुनिया के सभी 7 अरब मनुष्यों के कल्याण पर विचार करने के महत्व पर जोर देते हैं। वे वृहत्तर करुणा की आवश्यकता पर जोर देते हैं। वह तकनीकी रूप से विकसित देश के रूप में जापान की विशेष प्रशंसा करते हैं जिसने अपनी पारंपरिक संस्कृति और मूल्यों को भी बरकरार रखा है।’
बैठक के दौरान सांसदों ने तिब्बती मुद्दे के समर्थन में जोरदार आवाज उठाई और तिब्बती संस्कृति, धर्म, भाषा और पारिस्थितिकी की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने तिब्बत में आर्थिक और शैक्षणिक विकास को समर्थन देने में उत्साह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने आत्मा की आवाज पर तिब्बती कैदियों की रिहाई के लिए अपील की है।
उन्होंने तिब्बतियों के अधिकारों की रक्षा और उसे समर्थन देने का आह्वान दुनिया के सभी देशों से किया।
सांसदों ने तिब्बत के संबंध में एक प्रस्ताव के पारित किए जाने के बारे में भी परम पावन को सूचित किया। तिब्बत समर्थक जापानी सर्वदलीय संसदीय समूह का संकल्प पत्र औपचारिक रूप से जापानी में पढ़ा गया।
सांसदों को संबोधित करते हुए परम पावन ने कहा, ‘मैं तिब्बत के बारे में आपके संकल्प की सराहना करता हूं। पिछले 70 सालों में जबसे चीनी कट्टरपंथियों ने तिब्बत पर कब्जा किया है, उन्होंने तिब्बती भावना को कम करने के लिए बल, दिमाग सफाई और रिश्वत का उपयोग जैसे विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया है। लेकिन दमन जितना अधिक हुआ, तिब्बती भावना उतनी ही मजबूत हुई है।’
उन्होंने कहा, ‘1959 से पहले तिब्बत में अनेक प्रकार की समस्याएं थीं, लेकिन तिब्बती और चीनी लोगों के बीच कोई आंतरिक संघर्ष नहीं था। हालांकि, चीनी व्यवहार ने दोनों के बीच विवाद पैदा करना शुरू कर दिया था। प्रशासन, स्कूलों और यहां तक कि जेलों में भी भेदभाव विद्यमान थे। चीनी सरकार सद्भाव और स्थिरता का प्रचार करती है, लेकिन उनकी नीतियां इन लक्ष्यों को पूरी तरह से कमजोर करती हैं। उन्हें और यथार्थवादी होना चाहिए।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी ओर से, 1974 से हमने आजादी की मांग नहीं की है। हम चीन के साथ रहने के लिए तैयार हैं, बशर्ते हमें वे सभी अधिकार मिलें, जिनके हम हकदार हैं। कुछ साल पहले, हमारे ध्यान में आया कि चीनी में प्रकाशित हजारों ऐसे लेख हैं जो हमारे मध्य मार्ग दृष्टिकोण (एमडब्ल्यूए) का समर्थन करते हैं और चीनी सरकार की नीति के आलोचना करते हैं। आज, कम से कम 30 करोड़ चीनी बौद्ध हैं, उनमें से कई ने नालंदा परंपरा के मूल्य के साथ लोगों को शिक्षित किया है।’
मैं यूरोप में तिब्बत का समर्थन करनेवाले संसदीय समूहों को बताता हूं कि जितना अधिक वे तिब्बत की स्थिति के बारे में बात करने चिंता करने में सक्षम होंगे, उतना ही इससे तिब्बतियों की मदद मिलेगी और उनका मनोबल बढ़ेगा। यह जानकर तिब्बतियों को प्रोत्साहन मिलता है कि दुनिया में उनके लिए और जगह भी समर्थन है। अगर आप पारिस्थितिकीविदों के साथ पर्यावरण के तथ्य-खोज मिशन पर तिब्बत में जा सकें तो यह तिब्बतियों के लिए और मददगार साबित होगा। जैसा कि आप जानते हैं, विशाल नदियों के स्रोत के रूप में तिब्बत की पारिस्थितिकी एशिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
अपने संवोधन को समाप्त करते हुए परम पावन ने कहा, ‘भारत में आजकल मैं युवाओं को विशेष रूप से मन और भावनाओं के कामकाज के प्राचीन भारतीय ज्ञान में रुचि जगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा हूं। यह प्राचीन हो सकता है, लेकिन मेरा मानना है कि यह ज्ञान आज अनिवार्य रूप से प्रासंगिक है। जापान एक बौद्ध देश है और मुझे विश्वास है कि अगर उन्होंने इस आंतरिक ज्ञान में अधिक रुचि ली तो लोग भी मन की अखंड शांति पैदा कर सकते हैं।’
लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की एरिको यामाटानी ने संसद में आने के लिए परम पावन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘अगर हमने परम पावन की बातों पर ध्यान दिया और उनकी सलाह को माना तो हम दुनिया में शांति प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं।’ मैं यह भी स्वीकार करती हूं कि तीसरे ध्रुव के तौर पर तिब्बत की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के तरीकों के बारे में हमें और अधिक शोध करना चाहिए।’
जापान इनोवेशन पार्टी के सदस्य नोब्यूकी बाबा एपीजेपीजीटी के महासचिव हैं। उन्होंने भी इस बैठक को संबोधित किया।