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धर्मशाला। परम पावन दलाई लामा ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले लोकतांत्रिक देश भारत के राष्ट्रपति चुने जाने पर पत्र लिखकर बधाई दी है।
परम पावन ने लिखा,‘आप इस महत्वपूर्ण पद को ऐसे समय में ग्रहण कर रही हैं जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के महत्व के बारे में अधिक जागरूक हो रहा है। भारत के पास विश्व शांति और विकास में योगदान करने के लिए बहुत- कुछ है।
उन्होंने लिखा,‘मैं भारत के प्रति गहरे सम्मान का भाव रखता हूं। भारत सरकार के सबसे लंबे समय तक के अतिथि के रूप में मुझे देश के हर हिस्से की यात्रा करने का अवसर मिला है। हजारों वर्षों से भारत ने करुणाऔर अहिंसाके सिद्धांतों को कायम रखा है और महात्मा गांधी ने अहिंसा के सिद्धांत को दूर-दूर तक फैलाया है। इसमें बड़े पैमाने पर व्यक्तियों और दुनिया के भीतर शांति पैदा करने की क्षमता है। वैसे भी भारत धार्मिक सद्भाव की भूमि है, यहां कई अलग-अलग समुदाय एक साथ रहते हैं।‘
मैं अक्सर खुद को भारत के पुत्र के रूप में वर्णित करता हूं, क्योंकि मेरे सोचने का तरीका बौद्ध प्रशिक्षण से मुझे प्राप्त हुआ है। जैसा कि आप जानते हैं, तिब्बती बौद्ध संस्कृति की जड़ें नालंदा विश्वविद्यालय के विद्वान-विशेषज्ञों द्वारा विकसित तर्क और विश्लेषण की परंपराओं में निहित हैं।
अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने लिखा,‘आज हालांकि आधुनिक शिक्षा का महत्वपूर्ण मूल्य है, क्योंकि इसका ध्यान भौतिकवाद पर है। मन और भावनाओं के कामकाज के बारे में प्राचीन भारतीय ज्ञान में अधिक जागरूकता और रुचि पैदा करके इसे संतुलित करने की आवश्यकता है। लोग भावनात्मक स्वच्छता विकसित करना सीख सकते हैं, जिसमें उनकी नकारात्मक भावनाओं से निपटना और मन की शांति प्राप्त करना शामिल है। इस लिहाज से भारत अपने प्राचीन ज्ञान के साथ आधुनिक शिक्षा को मिलाने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में है। मैं इस खजाने के बारे में अधिक जागरूकता और रुचि पैदा करने के लिए इस प्रयास को जारी रखने, विशेष रूप से भारतीय भाइयों और बहनों के बीच करुणा की शक्ति और इसे दुनिया के साथ साझा करने के लिए भी प्रतिबद्ध हूं।
उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, तिब्बती लोगों और मुझे प्राचीन बौद्ध संस्कृति सहित हमारी पहचान की रक्षा और संरक्षण के प्रयास में सरकार और भारत के लोगों से अद्वितीय समर्थन प्राप्त हुआ है। मैं इस अवसर पर एक बार फिर आपके माध्यम से भारत सरकार और भारत के लोगों के प्रति हमें छह दशकों से अधिक समय से प्रदान किए जा रहे गर्मजोशीपूर्ण आतिथ्य के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूं।
परम पावन ने विश्वास व्यक्त किया कि नई राष्ट्रपति भारत की ताकत को मजबूत करने और भारत के प्राचीन ज्ञान के खजाने से प्रेरित अधिक शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण करने के लिए हरसंभव नेतृत्व प्रदान करेंगी। उन्होंने पत्र का समापन राष्ट्रपति को शुभकामनाएं देकर और उनको अभिवादन के साथ किया।