इंडिया न्यूज, 4 अप्रैल 2019
नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने क्राइस्टचर्च में हुए आतंकवादी हमले के बाद न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न द्वारा अपनाए गए संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए उनकी प्रशंसा की और कहा कि 21वीं सदी शांति एवं अहिंसा की सदी होनी चाहिए। लामा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि न्यूजीलैंड अन्य देशों के लिए इस बात का ‘‘जीता जागता उदाहरण’’ है कि इस प्रकार की घटनाओं के बाद किस प्रकार शांति एवं करुणा की भावना से निपटना है।
न्यूजीलैंड की मस्जिदों पर 15 मार्च को हुए एक आतंकवादी हमले में 50 लोगों की मौत हो गई थी। घृणा एवं नफरत के कारण कई देशों में पिछले कुछ वर्षों में हुई हिंसा की घटनाओं के संबंध मे सवाल किए जाने पर दलाई लामा ने कहा कि न्यूजीलैंड की नेता ने ‘‘अत्यंत दुखद स्थिति’’ से संवेदनशीलता के साथ निपटने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा, ‘‘अर्डर्न ने अहिंसा, करुणा के साथ और अन्य लोगों का सम्मान करते हुए समस्या का सामना किया। हालांकि, जो कुछ हुआ वह दु:खद था, लेकिन इसके बाद हिंसा नहीं हुई।’’ दलाई लामा ने कहा, ‘‘मैं न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री की वास्तव में सराहना करता हूं। वह बेहतरीन महिला हैं। यह जीता जागता उदाहरण है और हरेक को इससे सीखना चाहिए।’’ दलाई लामा ने सामाजिक, भावनात्मक एवं नैतिक (एसईई) शिक्षा कार्यक्रम के शुक्रवार को दिल्ली में वैश्विक लॉन्च की घोषणा के अवसर पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी ‘‘शांति एवं अहिंसा की सदी’’ होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमने 20वीं सदी में बहुत हिंसा देखी, दो विश्व युद्ध देखे और अब हमें अपनी समस्याओं से वार्ता और अहिंसा से निपटना चाहिए। हम शांति के जरिए ऐसा कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष दर्शन पर आधारित है और भारत में आधुनिक शिक्षा को देश के प्राचीन ज्ञान से जोड़कर ‘‘मानवता की मदद करने की संभावना’’ है।