दैनिक ट्रिब्यून, 4 जनवरी 2013
शिमला, 4 जनवरी (निस)। निर्वासित तिब्बती सरकार का मानना है कि भारत के लिए चीन चारों ओर से सबसे बड़ा खतरा है। निर्वासित तिब्बती सरकार की संसदीय कमेटी के अध्यक्ष दावा टीसेरिंग ने आज शिमला में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका चीन पूरे दक्षिण एशिया के लिए भी खतरा है और उसे रोकना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि तिब्बत में चल रहे स्वायत्तता आंदोलन को तेज करने के लिए भारत के और अधिक राजनीतिक सहयोग की जरूरत है। इस मौके पर निर्वासित तिब्बती सरकार में सांसद कालसंग दमलूल सांसद मोरगू तेनपा और सांसद गेंग लाहमो भी मौजूद थी।
दावा टीसेरिंग ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि तिब्बत में चीन की साम्यवादी सरकार पिछले 60 वर्षो से विनाशकारी नीतियां लागू कर रही है। इस कारण तिब्बत की संस्कृति, धर्म, भाषा और पहचान सब खत्म होता जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन की साम्यवादी सरकार तिब्बतियों को पिछड़ा वर्ग मानते हुए उनके साथ अपमान और भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि तिब्बतियों के स्वायत्तता के आंदोलन में अब तक 95 तिब्बती शहीद हो चुके हैं जिनमें से 80 ने आत्मदाह किया है जबकि शेष लोगों का अभी तक कोई अता-पता नहीं है।
निर्वासित तिब्बती संसद के अध्यक्ष ने कहा कि तिब्बत की स्थिति अति चिंतनीय है और इस समय तिब्बत में आत्मदाह करने वालों के परिजनों तथा उनके बच्चों से मिलने व उन्हें देखने, मृतकों के लिए प्रार्थना करने और अंतिम संस्कार करने पर रोक है। उन्होंने कहा कि तिब्बतियों की इस दयनीय स्थिति से उन्हें बाहर निकालने के लिए भारत सरकार और भारत की जनता के सहयोग की अत्यधिक जरूरत है। उनका कहन है कि तिब्बत को इस गम्भीर स्थिति से भारत ही बाहर निकाल सकता है। साथ तिब्बत की संस्कृति को नष्ट होने से बचाने के लिए भी भारत के सहयोग की अत्यधिक जरूरत है।
दावा टीसेरिंग ने कहा कि तिब्बती स्वतंत्रता की नहीं बल्कि स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा भारत की चौतरफा घेराबंदी और लगातार बढ़ते खतरे तथा तिब्बतियों को और अधिक सहयोग का मामला भारत की संसद में उठना जरूरी है। दावा ने कहा कि भारत सरकार पर सहयोग के लिए दबाव बनाने के वास्ते निर्वासित तिब्बती सरकार ने डोर टू डोर जन सम्पर्क अभियान आरम्भ किया है। इसके तहत निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रतिनिधि मण्डल ने शिमला में मुख्यमंत्री से भेंट की तथा अन्य नेताओं से भी मुलाकात कर सहयोग मांगा जा रहा है।
तिब्बत में स्वायत्तता के लिए चल रहे आंदोलन को समर्थन देने के लिए निर्वासित तिब्बती सरकार की ओर से आज शिमला में एक शांति मार्च का आयोजन भी किया गया जिसमें बड़ी संख्या में तिब्बतियों और स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया।