बौद्ध समुदाय के सर्वाच्च धर्मगुरु दलाई लामा की प्रमुख राजनीतिक शक्तियां निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री को मिलेंगी .सर्वाच्च धर्मगुरु की शोष पॉवर सुप्रीम जस्टिस तथा तिब्बती संसद अध्यक्ष में बांटी जाएगी.इसके लिये 24 मई को निर्वासित तिब्बत सरकार चार दिन का अतिरिक्त सत्र बुला रही है । निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्रा प्रो.सामदोंग रिपोछे ने कहा कि महामहिम दलाई लामा का रिटारमेंट का फैसला समुदाय के हित से जुडा है । उनका कहना है कि महामहिम अपनी मौजूदगी में सरकार के सारे कामकाज को व्यवस्थित करना चाहते है। दलाई लामा का मानना है कि उनके बाद उनकी विशोष शाक्तियों के प्रयोग को लेकर किसी तरह की खींचतान या मतभेदों की आशंकाओ से बचने के लिये उन्होंने रिटारमेंट का ऐलान किया है । इस ऐलन से दलाई लामा के निर्दशों पर चार्टर में संशोधन प्रक्रिया भी आंरभ हो गई है। इसके लिये गठित पांच सदस्यीय कमेटी ने तिब्बती सरकार के संविधान में संशोधन की ड्राफ्टिंग आरंभ कर दी गई और उक्त कमेटी ने 11 अप्रैल तक संशोधन की रिपोर्ट संसदीय सचिव को सौंप दी. इसके उपरांत संविधान संशोधन पर अध्ययन करने के बाद इसे मंजूरी के लिये रखा जाएगा। प्रो. सामदोंग रिपोछे का कहना है कि इसके लिये 24 मई को चार दिवसीय अतिरिक्त सत्र बुलाया गया है । उल्लेखनीय है कि निर्वासित तिब्बत की 14वें संसद पूरी हो गई है। बावजूद इसके संविधन संशोधन विधयक को पारित करने के लिये उक्त चार दिवसीय अतिरिक्त सत्र बुलाया गया है । प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिपोछे का कार्यकाल अगस्त माह तक शोष है। संशोधन को लेकर आंरभ हुई ड्राफ्टिंग में दलाई लामा की सरकार के राजनीतिक फैसले लिये जाने की पावर पीएम के पास रहेगी। अन्य शक्तियों का सुप्रीम जास्टिस औऱ लोकसभा स्पीकर में बंटवारा होगा।
निर्वासित तिब्बती सरकार ।
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