सिक्योंग पेन्पा त्सेरिंग ने प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी और अन्य अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की।
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निर्वासित तिब्बती नेता पेन्पा त्सेरिंग ने गुरुवार को प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी और अन्य सांसदों के साथ बैठक और शुक्रवार शाम को निर्धारित सार्वजनिक वार्ता के साथ वाशिंगटन डीसी की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पूरी कर ली।
सिक्योंग त्सेरिंग (भारत स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार- केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के निर्वाचित प्रमुख)ने मंगलवार को अमेरिकी विदेश विभाग में तिब्बती मुद्दों के लिए विशेष समन्वयक उज़रा ज़ेया के साथ बातचीत के साथ अपनी यात्रा शुरू की। विभाग ने त्सेरिंग के स्वागत में दोपहर के भोजन की भी मेजबानी की जिसमें चेक गणराज्य, डेनमार्क, कनाडा, इंग्लैंड और अन्य देशों के राजदूतों ने भाग लिया।
गुरुवार को पेलोसी के साथ त्सेरिंग की बैठक में भाग लेने वालों में इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत (आईसीटी) बोर्ड के चेयरमैन रिचर्ड गेर,कार्यवाहक अध्यक्ष भुचुंग त्सेरिंग,तिब्बत के ताशिलहुनपो मठ की भारत स्थित शाखा के मठाधीश ज़िग्यब रिनपोछे,अमेरिकी सांसद जिम मैकगवर्न और निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के प्रतिनिधि नमग्याल चोएडुप शामिल थे।
बैठक के बाद आरएफए से बात करते हुए चोएडुप ने बताया कि इस सप्ताह हुई त्सेरिंग की वाशिंगटन की यात्रा उनकी पहली यात्रा थी। भारत के धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती संसद के पूर्व स्पीकर त्सेरिंग ने ११ अप्रैल, २०२१ को सिक्योंग पद के लिए दुनिया भर के तिब्बती समुदायों में चुनाव लड़ा था।
चोएडुप ने गुरुवार की बातचीत को ‘निर्णायक और रचनात्मक’ बतायाऔर तिब्बतियों को निरंतर अमेरिकी समर्थन के लिए पेलोसी के प्रति आभार जताया। चोएडुप ने कहा, ‘बैठक में चीन-तिब्बत संघर्ष को कैसे हल किया जाए, इस बारे में भविष्य की कार्रवाई को लेकर सामूहिक निर्णयों पर भी चर्चा हुई।’
पूर्व में एक स्वतंत्र राष्ट्र रहे तिब्बत पर आक्रमण किया गया था और ७० से अधिक वर्षों पहले बल द्वारा चीन में शामिल किया गया था। उसके बाद से तिब्बती अक्सर चीनी अधिकारियों द्वारा भेदभाव और मानवाधिकारों के हनन की शिकायत करते रहते हैं। चीन की नीतियों का उद्देश्य तिब्बत की राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान को मिटाना है।
आईसीटी बोर्ड के अध्यक्ष रिचर्ड गेर ने गुरुवार को आरएफए से बात करते हुए कहा, ‘हम उन मिथकों या आख्यानों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं जो चीनी सरकार कई दशकों से तिब्बत को चीन का हिस्सा होने के बारे में पेश कर रही है,जो सच नहीं है।’
गेर ने कहा, ‘हम चीनऔर परम पावन दलाई लामा के बीच वास्तविक संवाद शुरू कराने पर जोर देने की कोशिश कर रहे हैं।’
दलाई लामा और भारत स्थित निर्वासित तिब्बत सरकार के केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने बीजिंग के साथ बातचीत के लिए ‘मध्यम मार्ग’ दृष्टिकोण का प्रस्ताव दिया है जो अब तिब्बत को चीन के हिस्से के रूप में स्वीकार करता है लेकिन तिब्बती भाषा, धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों के लिए अधिक स्वतंत्रता का आग्रह करता है।
पूर्व में निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के दूतों और उच्च स्तरीय चीनी अधिकारियों के बीच २००२ से नौ दौर की वार्ता हुई,लेकिन २०१० में यह रुक गई और फिर कभी नहीं हुई।
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के रैंकिंग सदस्य और टेक्सास के प्रतिनिधि माइकल मैककॉल ने कहा, ‘दलाई लामा के समर्थक सांसद दलाई लामा को वीडियो द्वारा अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए देखना पसंद करेंगे।’
मैककॉल ने कहा, ‘अमेरिकी लोग तिब्बती लोगों और दलाई लामा के साथ खड़े हैं जो हमारे समय के सबसे महान आध्यात्मिक नेताओं में से एक हैं।’
पेन्पा त्सेरिंग ने शुक्रवार शाम को अपनी वाशिंगटन यात्रा का समापन जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में तिब्बत-चीन संवाद पर पैनल चर्चा और डीसी-क्षेत्र के तिब्बती समुदाय के साथ एक सार्वजनिक वार्ता के साथ किया। कनाडा में बैठकों में जाने से पहले वे फ़िलाडेल्फ़िया और न्यूयॉर्क में तिब्बत समुदायों के बीच दौरा करेंगे।