नवंबर में विरोध प्रदर्शन में शामिल सभी अभी भी हिरासत में ही हैं कि इसी बीच दलाई लामा विरोधी सरकारी अभियान, विशेष रूप से तिब्बती खानाबदोशों के बीच चलाए जा रहे इस अभियान के विरोध में फिर प्रदर्शन शुरू हो गया।
दो अलग-अलग विरोध- प्रदर्शनों के बाद बड़ी संख्या में सशस्त्र पुलिस का काफिला सर्शुल के निचले ड्जाचुखा क्षेत्र के वोनपॉ टाउनशिप (वेनबो) में पहुंचा।
निर्वासित तिब्बती सूत्रों ने ड्जा वोन्पो मठ के भिक्षुओं की पहचान 20 वर्षीय कुन्सल, 18 वर्षीय त्सल्त्रिम, 18 वर्षीय टेमी और 18 साल की सोएटा के रूप में की है। दरअसल इन पर आरोप है कि 7 नवंबर को इन्होंने मठ की दूसरी तरफ अवस्थित चीनी प्रशासनिक कार्यालय के प्रांगण में पर्चे बिखरे थे।
इसके बाद पुलिस ने मठ के शिक्षक, भिक्षु के धार्मिक प्रशिक्षक शेरगाम यांग को हिरासत में लिया था, लेकिन 11 दिनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया।
हिरासत में लिए गए इन प्रदर्शनकारी लोगों के समर्थन में सोशल साइट्स पर पोस्ट डालने के आरोप में न्यिमा नाम के एक अन्य भिक्षु को 18 नवंबर को हिरासत में लिया गया था। हालांकि पहले की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि वह रिहा हो गया था, लेकिन नई जानकारी मिली है कि वह अभी भी हिरासत में ही है।
दो सप्ताह बाद 21 नवंबर को दो युवा तिब्बतियों- चोएग्याल (न्यिमा का भाई) और योंटेन को भी उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वे ड्जा वोन्पो गांव के पुलिस स्टेशन के सामने पर्चे बांट रहे थे और सोशल साइट्स वी चैट पर पोस्ट डालने के आरोप में गिरफ्तार भिक्षुओं के समर्थन में एकजुटता का इजहार कर रहे थे।
विरोध प्रदर्शन के पहले दोनों युवकों ने दलाई लामा की फोटो और लाल और काली स्याही से दोनों ओर ‘बोड रंगजेन’ (तिब्बती वाक्यांश जिसका अर्थ होता है- तिब्बत की स्वतंत्रता) लिखे पर्चे के साथ एक वीडियो शूट किया था।
सभी सात तिब्बती अभी भी हिरासत में हैं और उनके परिवारों और दोस्तों को उनसे मिलने से मना कर दिया गया है।
नवंबर का प्रदर्शन
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