तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सों का कहना है कि चीन का सह अस्तित्व के सिद्बांत में विश्वास नही है जबकि भारत अपने पंचशील सिद्वांतों के लिए जाना जाता है । चीन की घुसपैठ भारत को उत्तेजित करने के लिए होती है । उन्होंने भारत की सामरिक नीति की रहाहना करते हुए कहा कि भारत को चीन से भयभीत होने की जरुरत नही है । तिब्बती धर्मगुरु इन दिनों लखनउ में है। शनिवार को उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत की । पेश है बातचीत के प्रमुख अंश चीन और पाकिस्तान के बीच बढते सामरिक रिश्तों को देखते हुए क्या भारत को अपनी सामरिक रणनीति में परिवर्तन करना चाहिए ।
भारत की सामरिक नीति में बदलाव की आवश्यकता नहीं है , बल्कि इसे पुख्ता करते रहने की जरुरत है । रही बात चीन और पाकिस्तान के बीच बढ दोस्ती की , तो भारत को चिंतित होने के बजाय नजर रखने की जरुरत है ।
जिस प्रकार चीन में जम्मू कशमीर के नागरिकों के लिए नत्थी वीजा दिया जाता है क्या भारत को तिब्बती लोगों को भी नत्थी वीजा दिया जाना चाहिए ।
भारत दुनिया का सबसे बडा लोकतांत्रिक देश है जबकि चीन में लोकतंत्र नही है । वहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी नही। इसलिए जरुरी नहीं कि चीन जो काम करे भारत उसका अनुसरण करे । भारत सोच समझ कर जो भी काम करता है ठीक करता है ।
चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ अगले महीने भारत आ रहे है। इस्लामाबाद जाएंगे । क्या इस यात्रा से भारत और चीन के रिश्तों में सुधार की उम्मीद की जानी चाहिए ।
रिश्तों में सुधार तो बाद की बात है लेकिन एक लाभ जरुर मिलेगा। इस यात्रा के दौरान विभिन्न मुद्दों पर दोनों देशों को एक साथ बैठकर बातचीत करने का अवसर मिलेगा । बातचीत समस्याओं के समाधान की दिशा मे महत्वपूर्ण पहले मानी जानी चाहिए।
नत्थी वीजा पर भारत को चीन का अनुसरण करने की जरुरत नही ।
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