समय लाइव, 25 सितम्बर, 2012
तिब्बतियों की एक विशेष महासभा मंगलवार को हिमाचल के धर्मशाला में शुरू हुई।
महासभा तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की गैर मौजूदगी में शुरू हुई । तिब्बती समुदाय द्वारा भारत में शरण लेने के बाद से यह इस तरह की दूसरी सभा है।
इस महासभा में 26 देशों के 432 प्रतिनिधि टीसीवी स्कूल सभागार में जमा हुए हैं। यहां पर तिब्बतियों से जुड़े विषयों पर चर्चा होगी जिनमें चीन और ताइवान से आये पर्यवेक्षक तथा यूरोप और अमेरिका के सहभागी भी शामिल हैं।
दलाई लामा द्वारा पिछले साल सक्रिय राजनीति से संन्यास लिये जाने के बाद उनकी गैर मौजूदगी में अध्यक्षता कर रहे तिब्बती राजनीतिक नेता लाबसांग सांगाय ने तिब्बतियों के अभियान में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से मिल रहे सहयोग की सराहना की और ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि बैठक में वैश्विक समर्थन हासिल करने के लिए तिब्बत के भूराजनीतिक महत्व को बढ़ाते के तरीकों पर चर्चा होगी। इसके अलावा चीन में बौद्ध लोगों को मनाने की रणनीति तय की जाएगी और संवाद के जरिये समस्या का समाधान निकालने में उनकी मदद मांगी जाएगी।
तिब्बती संसद के स्पीकर पेंपा शेरिंग ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अधिवेशन का एजेंडा तिब्बत के भीतर मौजूद अनेक जटिल मुद्दों से निपटना है। दुनिया भर में करीब 1,40,000 तिब्बती निर्वासन में रहते हैं जिनमें से करीब एक लाख लोग भारत में रहते हैं।