दैनिक जागरण, 8 जनवरी 2013
वाराणसी, जागरण संवाददाता। तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा है कि ग्रंथ सुनने से मन में कोमलता न आए तो कहा सुना सब बेकार हो जाता है। उनका कहना है कि धर्म का व्यापार किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं है।
दलाईलामा केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय के कालचक्र मंडप में सोमवार को अनुयायियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समस्त क्लेशों का मूल अहं है और इससे ही बुराइयों को प्रश्रय मिलता है। संसार में महान वही है जो दूसरों के दुख को अपना समझकर उसे दूर करने का प्रयास करता है। आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि कोई भी धर्म बुरा नहीं है और सभी का लक्ष्य मानव कल्याण है। धर्मो के केवल दर्शन अलग-अलग हैं। ऐसे में करुणा व मैत्री बीच का रास्ता है। उनके मुताबिक भारत में सभी धर्मो को समान महत्व और आदर प्राप्त है।