गुवाहाटी। हेलिकाप्टर हादसे में मारे गए अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू ने अरुणाचल पर चीन के दावे का हमेशा सीना ठोंककर विरोध किया था। खासकर बौद्ध धार्मिक गुरु दलाई लामा के पिछले तवांग दौरे चीन के एतराज का उन्होंने कसकर विरोध करते हुए कहा था कि अरुणाचल प्रदेश के लोग भारत के अभिन्न अंग है और रहेगा। उनके धार्मिक नेता को अरुणाचल में आने के लिए चीन की अनुमति की जरुरत नही है। वह बौद्ध धर्म के परम अनुयायी थे और इसलिए नवनिर्मित मुख्यामंत्री आवास का उदघाटन उन्होने दलाई लामा से करवाया था। जहां भी दौर पर जाते तो स्थनीय बौद्ध मठ जाना नहीं भूलते। चीन के दावे को देखते हुए वे भारत के चीन से सटे इलाके के विकास के लिए प्रयासरत थे। वे चाहते थे कि चीन से सटी भारतीय सीमा में सडक नेटवर्क का जाल बिछे और इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से एक महत्वाकांक्षी योजना भी मंजूर करवा ली थी।
खांडू का विधानसभा क्षेत्र मुकुतो भी चीन की सीमा से सटा हुआ है। जहां से अरुणाचल के पूर्ण राज्य बनने से पिछले विधासभा चुनाव तक निर्विरोध जीतते आए थे। तीन मार्च , उन्नीस सौ पचपन में तत्कालीन नेफा (अब अरुणाचल प्रदेश) के दुर्ग्म गांव ग्वांगखर में हुआ था। वे मोंपा जनजाति के थे। समाज सेवा और राजनीति में आने के पहले वे भारतीय सेना खुफिया विभाग में सात वर्षा तक काम कर चुके थे। बांग्लादेश युद्ध के समय बेहतरीन खुफिया विभाग में सात वर्षो तक काम कर चुके थे। बांग्लादेश युद्व के समय बेहतरीन खुफिया सेवा के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ था । सेना की नौकरी के बाद वे तवांग जिले के लोगों के लिए सामाजिक कार्य़ा में जुट गए। वे सामाजिक औऱ सांस्कृति गति विधियों के आयोजन में बेहद दिलचस्पी लेते थे। अपने सामाजिक कार्या की वजह से वे पूरे तवांग जिले को लोकप्रिय हो गए। उन्नीस बयासी में उन्होंने दिल्ली में हुए एसियाड में अरुणाचल की सांस्कृतिक टीम का नेतृत्व किया औऱ बेहतर प्रदर्शन के लिए रजत पदक प्राप्त किया।
उन्होंने एख स्थानीय समाजसेवा के रुप में अपने जिले के पिछ़डे पडे इलाके के विकास में लगे और दूरदराज के गांवो तक पेयजल आपूर्ति , बिजली , दूरसांचार ,स्कूल और धार्मिक स्थल ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान किया। अपनी सामजिक गतिविधियों की वे वजह से अपने क्षेत्र में वे सम्मानित व्यक्ति बन गए। उनके इलाके के लोग उन्हें भगवान की तरह सम्मान देने लगे।
अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद उन्नीस सौ नब्बे में वे अरुणाचल के प्रथम विधानसभा चुनाव में थिंगबु -मुकतो सीट से पहली बार कांग्रेस के टिकट पर निर्विरोध विधायक चुने गए। उसके बाद पिछले विभागसभा चुनाव तक वे निर्विरोध जीतते रहे। इसी से उनकी लोकप्रियता का अंदाज लगाया जाता है। उन्हें महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए। उनके महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए। उनके मिलनसार स्वाभाव , सादगी औऱ काम प्रति निष्ठा की वजह से प्रदेश की राजनीति पर उनकी पकड बढती गई। उन्हें सभी पसंद करते थे।
मुख्यमंत्री गेगांग अपांग के प्रति विधायकों में अंसतोष बढ गया औऱ नेतृत्व परिवर्तन की स्थिति बन गई । तब नौ अप्रैल दो हजार सात को उन्हें मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा गया। उन्होंने कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी को समाप्त किया तथा अपांग सरकार के दिनों में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया । जन वितरण प्रणाली को ठीक करने का बेडा उठाया और कई नेताओं तथा आधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई आंरभ की।
उन्होंने राज्य के पर्य़टन के विकास के लिए कई कदम उठाए। तवांग को उन्होंने महत्वपूर्ण पर्य़टन केंद्र बनाने के लिए विशोष प्रयास किया। उनके काम करने के तरीके , लोगों के लिए सहज उपलब्ध रहने की प्रवृति और मिलकर काम करने की आदत ने उन्हें पूरे प्रदेश के साथ कांग्रेस आलाकमान में लोकप्रिय बना दिया। जिसके परिणामस्वरुप दो हजार नौ के विधानसभा चुनाव में वे फिर से निर्विरोध चुने गए औऱ लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। लेकिन तीस अप्रैल को उनकी हेलिकाप्टर की यात्रा उनकी अंतिम उडान साबित हुई।
दोरजी खांडू । सैनिक से राजनेता तक का सफर।
विशेष पोस्ट
संबंधित पोस्ट