दैनिक जागरण, 3 दिसंबर 2018
आगरा, जेएनएन। सोमवार की भोर यूं तो आम दिनों की भांति थी। समय पर सूर्योदय, सर्द सुबह में चिडिय़ों की चहचहाहट लेकिन इस सुबह में कुछ खास बात भी थी। वायु मंडल में विश्व शांति के उद्गार छाए हुए थे। दुनिया को भारत की विशेषता बताते हुए तिब्बती धर्मगुरु प्रेरक देश की संज्ञा दे रहे थे। सोमवार को तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा मैनपुरी के जसराजपुर पहुंचे। यहां बने बौद्ध विहार का लोकार्पण करने के बाद अपने अनुयायियों को विश्वशांति पर प्रवचन दिया। उहोंने कहा कि दुनिया में इस समय शांति और अहिंसा की आवश्यकता है। भारत का सर्वधर्म समभाव का प्राचीन सिंद्धात इसके लिए कारगर है। शांति हर धर्म के लोगों को चाहिए। पूरे विश्व को इस सिद्धांत पर अमल करने की सीख भारत से लेनी चाहिए। यहां सदियों से विभिन्न धर्म- जाति के लोग अलग- अलग परंपराओं के साथ मिलजुल कर रह रहे हैं। भारत का यह सिद्धांत मुस्लिम देशों को विशेषकर सीखने की आवश्यकता है।
बता दें कि तिब्बती धर्मगुरु रविवार की दोपहर फर्रुखाबाद के संकिता में आ गए थे। सोमवार को मैनपुरी के जसराजपुर पहुंचने के बाद देश विदेश से आए उनके अनुयायी अपने धर्मगुरु के प्रवचनों का लाभ ले रहे हैं।
दलाईलामा के प्रवचन के लिए बनाया गया मंच थाईलैंड से आए विशेष प्रकार की दर्जनभर प्रजातियों के फूलों से सजाया गया है। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की सांस्कृतिक विरासत को मंच सज्जा के माध्यम से दर्शाया गया है। मंच सज्जा के लिए थाईलैंड की संस्था समुई बौद्ध मठ के भिक्षु मैत्रेय थैरो को दिया गया है। फूलों से मंच को सजाने के लिए थाईलैंड का 40 सदस्यीय दल रविवार शाम कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गया था।
सोमवार को सुबह जसराजपुर पहुंचने पर दलाईलामा का स्वागत पारंपरिक तरीके से किया गया।
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