बच्चों और बाकी दुनिया की बेहतरी के लिए अभी से कदम उठाने का आहवान करते हुए तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा ने शनिवार को कहा कि शांत और दयालु मस्तिष्क से ही भविष्य की रुपरेखा रची जा सकती है।
दलाई लामा ने यहां विश्व के विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीशों तथा अन्य न्यायधीशों के 11वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उदघाटन के मौके पर कहा कि दुनिया में बच्चों का भविष्य संवारने के लिए अभी से तैयारी शुरु करनी होगी। बच्चों समेत पूरी दुनिया की बेहतरी के लिए अभी से कदम उठाने की सख्त जरुरत है ।
आध्यात्मिक गुरु ने भविष्य को संवारने के उपाय खोजने में यथार्थ को ज्यादा महत्व देने की वकालत करते हुए कहा कि किसी भी चीज को सिर्फ भरोसे या अंधाविश्वास के आधार पर ही नहीं अपनाना चाहिए, बल्कि उसे विज्ञान की कसौटी पर भी कसा जाना चाहिए ।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति रेबेलो ने कहा, हमारा इतिहास इस बात का गवाह है कि भारतीय दार्शनिकता हमेश से मानवजाति को शांति , सहयोग , आपसी सौहार्द, अहिंसा , मानव सम्मान तथा मानव विकास की दिशा दिखाती आई है। संविधान का अनुच्छेद 51 इसी दार्शनिकता तथा आदर्शे को स्थायी बनाता है। उन्होंने जोर देकर कहा , अनुच्छेद 51 विश्व के देशों में न्यायोचित समन्वय के लिए एक नई सोच तथा दिशा देता है, जिसे शायद सभी देशों को अपनाना चाहिए तथा इसे आत्मिक और व्यावहरिक तौर पर अपनाना चाहिए। मारीशस के पूर्व राष्ट्रपति कासम उतीम ने इस मौके पर कहा कि विश्व में अराजकता , आतंकवाद तथा अन्य अपरोधों की रोकथाम के लिए मजबूत अंतर्राष्ट्रीय कानून बनाना बहुत जरुरी है। सम्मेलन में अमेरिका , फ्रांस , आस्ट्रेलिया , रुस , इंग्लैंड, अफगानिस्तान तथा इस्राइल समेत 71 देशों के मुख्य न्यायाधीश, अन्य न्यायधीश तथा कानूनविद् हिस्सा ले रहे है।
दुनिया की बेहतरी के लिए कदम उठाएं । दलाई
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