दैनिक जागरण, 10 जुलाई 2012
ललितपुर: विभिन्न संगठनों द्वारा दलार्इ लामा का 77वां जन्मदिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। तिब्बती परम्परा अनुसार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि राजनैतिक सन्यास लेकर बौद्ध धर्म दलार्इ लामा शानित और अहिंसा के पुजारी के रूप में अनूठे ढंग से मानवता की सेवा कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि आज जब देश में हिंसा, व्यकित और परिवारवाद की राष्ट्रीय राजनीति चरम पर है। ऐसे में तिब्बत के निर्वासित शासक एवं धर्मगुरू दलार्इ लामा की अहिंसक स्वतंत्रता आन्दोलन की प्रभावशाली उपलबिधयां रही है।
भगवान महावीर, भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी के अहिंसा सम्बन्धी विचारों को प्रभावशीलता और उनन्तकालिकता को एक बार फिर से उन्होंने स्थापित करने का कार्य किया है। वक्ताओं ने उनके संघर्ष तथा उनके चरित्र की विस्तृत चर्चा की। इस मौके पर भारत तिब्बत मैत्री संघ के अध्यक्ष सुधाकर तिवारी, फ्रेण्डस आफ तिब्बत के सचिव विनोद त्रिपाठी, रमेश कुमार, रामस्वरूप् साहू, कमलेश रिछारिया, विजय कुमार शर्मा, संजय सेन, अखिलेश पाठक, जयकान्त झा, सुरेन्द्र पटेल, धर्मेन्द्र सिंह, देशबन्धु नरवरिया, हनुमत प्रयाद, अभिषेक जैन, अंकुश पाटकार, अनुज त्रिपाठी, पीयूष गोस्वामी, अपूर्व त्रिपाठी, सौरभ जैन, ऋषि त्रिपाठी, रामनारायण रजक, माण्डवी, वीनू सिंह, संजय तिवारी, उर्मिला श्रीवास्तव, शिखा जैन, रशिम मिश्रा, संगीता गोस्वामी, प्रियंका निरंजन, जूली जैन, रेखा रजक, संगीता वर्मा, प्रियंका श्रीवास्तव, संध्या राजपूत, चंचल चौरसिया निशा रजक, सुरभि जैन, नेहा जैन, प्रीति निगम आदि उपसिथत रहे।