दैनिक ट्रिब्यून, 23 अप्रैल 2015
तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा और उनके मित्र एवं नोबेल पुरस्कार विजेता डेसमंड टूटू सात समंदर पार से धर्मशाला पंहुच कर आजकल अपने मित्र दलाईलामा से कई महत्वपूर्ण विषयों पर चिंतन कर रहे हैं। डेसमंड टूटू शनिवार को अपनी बेटी एमफो के साथ मैक्लोडगंज पंहुचे थे। आजकल निवार्सित तिब्बती सरकार का पूरा अमला टूटू की आवभगत के लिए धर्मगुरू के साथ व्यस्त है। टूटू दलाईलामा के साथ एक सप्ताह तक रुकेंगे।
दोनों शांति नोबेल पुरस्कार विजेता आपस में अपने अनुभवों को साझा कर रहे हैं। पता चला है कि दोनों नेता अपने-अपने जीवन के अच्छे अनुभवों के आधार पर संयुक्त रूप से एक श्रृंखला का प्रकाशन करेगे। इसका आधार प्रसन्नता के वे क्षण होगें जो इनके जीवन में आए हैं।
इस आशय की जानकारी देते हुए दलाईलामा ने कहा है कि वास्तविक आनंद मानव के भीतर ही होता है। डेसमंड टूटू ने कहा कि कई बार हम जीवन की चुनौतियों से परेशान हो जाते हैं लेकिन वास्तविक आनंद अंदर से ही पैदा होता है।
गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका में आयोजित होने वाले नोबेल पुरस्कार विजेताओं के सम्मान समारोह में दलाईलामा को भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका सरकार ने वीज़ा देने से इंकार कर दिया था।
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