मैकलोडगंज। राजनीतिक जीवन से संन्यास की घोषणा कर चुके तिब्बत के सर्वोच्च नेता एवं धर्मगुरु दलाईलामा निर्वासित तिब्बत सरकार की गतिविधियों से पूरी तरह से अलग नहीं होंगे। 75 वर्षीय दलाईलामा भारत में निर्वासित तिब्बत सरकार के मुख्य सलाहकार के तौर पर अपनी सेवाएं देंगे। हालांकि उनके द्वारा सुझाए गए मार्ग को अपनाकर निर्वासित संसद ने तिब्बत के चार्टर में बदलाव के प्रस्ताव को स्वीकार लिया है। तिब्बत की सत्ता से दलाईलामा के संन्यास के बाद तिब्बती चार्टर में आवश्यक बदलाव को लेकर निर्वासित 14वीं तिब्बती संसद ने मई माह में विशेष अधिवेशन बुलाने का निर्णय लिया है।
चार्टर में आवश्यक बदलाव के आदेश
हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष एवं निवर्तमान प्रधानमंत्री प्रो सामदोंग रिंपोंछे ने इस आशय की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि निर्वासित तिब्बत सरकार को हमेशा धर्मगुरु दलाईलामा के मार्गदर्शन की आवश्यकता है। लिहाजा उनसे मुख्य सलाहकार के तौर पर सेवाओं का आग्रह किया गया है। शुक्रवार को निर्वासित संसद का बजट सत्र संपन्न हो गया। निर्वासित संसद ने हालांकि प्रस्ताव पारित कर दलाईलामा से अपना निर्णय वापस लेने का आग्रह भी किया, लेकिन अपने निर्णय पर अडिग धर्मगुरु ने उनके संन्यास को तिब्बत के हक में बताते हुए चार्टर में आवश्यक बदलाव के आदेश दिए।
अंततः संसद को दलाईलामा की इच्छा के आगे झुकना ही पड़ा। चार्टर में बदलाव के लिए निर्वासित संसद एवं सरकार को खासी कसरत करनी होगी। चूंकि शुक्रवार को बजट सत्र का समापन हो गया लिहाजा इस पर अब मई में विशेष अधिवेशन बुलाया जाएगा। बदलाव के बाद तिब्बत एक तरह से एक गणराज्य बन जाएगा।