अमर उजाला, 2 अक्टूबर 2014
दक्षिण अफ्रीका की ओर से तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा को वीजा न देने और कुछ नोबेल पुरस्कार विजेताओं के बहिष्कार के बाद केप टाउन में होने वाले विश्व शिखर सम्मेलन को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया है।
नोबेल पुरस्कार विजेताओं का 14वां विश्व शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका में 13 से 15 अक्तूबर तक होना था। अब सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका से स्थानांतरित हो सकता है। निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री डा. लोबसंग सांग्ये ने बताया कि कल तक सम्मेलन के नए स्थान का पता लग जाएगा।
उधर, दलाईलामा के समर्थन में धर्मशाला पहुंची दो नोबेल पुरस्कार विजेताओं जोडी विलियम्स और शिरिन इबादी ने प्रेस वार्ता में कहा कि हमारा विरोध काम आया। उन्होंने कहा कि दलाईलामा को वीजा न देकर दक्षिण अफ्रीका ने धर्मगुरु और तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है। वहीं, दक्षिण अफ्रीका के नोबेल पुरस्कार विजेता आर्कबिशप डेसमंड टुटू की चुप्पी पर भी सवाल उठाया।
इबादी ने कहा कि मैं काफी हैरान हूं कि टुटू ने सारे मसले पर चुप्पी साध रखी है। बावजूद इसके कि वे दक्षिण अफ्रीका सरकार का हिस्सा तक नहीं हैं। विलियम्स ने कहा कि चीन के दबाव के आगे झुकने के चलते दक्षिण अफ्रीका ने कई बार दलाईलामा को वीजा नहीं दिया।
टुटू के 80वें जन्मदिन समारोह के दौरान भी दलाईलामा को वीजा नहीं मिला था। बावजूद इसके शिखर सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका को चुना जाना चिंताजनक है।
प्रेस वार्ता के दौरान नोबेल विजेता लाइबेरिया की लेमाह गबोई और यमन की तवाकोल करमान की अनुपस्थिति पर कहा गया कि वे निजी कारणों से नहीं पहुंच पाईं।
जो आवाज उठाता है, उसे जेल में बंद कर दिया जाता है। चीन तो ईरान के संसाधनों को लूट रहा है। इबादी ने कहा कि मैं यहां दलाईलामा से सीखने आई हूं कि किस तरह से उन्होंने 50 वर्ष से अहिंसात्मक आंदोलन को चला रखा है।
दलाईलामा अलगाववादी नहीं
जोडी विलियम्स ने कहा कि दलाईलामा को वीजा नहीं मिलने पर हमने दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन की गलियों में विरोध की ठानी थी। बाद में हमने शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करना ही उचित समझा।
दक्षिण अफ्रीका दलाईलामा को वीजा नहीं देने का इतिहास बना रहा है। चीनी दलाईलामा को हमेशा विद्रोही और अलगाववादी के रूप में देखता है। धर्मगुरु तो सिर्फ मध्य मार्ग की नीति पर चल रहे हैं।