धर्मशाला। 14वीं निर्वासित तिब्बत संसद ने आखिर दलाईलामा के राजनीति से संन्यास और राजनीतिक शक्तियां चुने हुए प्रतिनिधि को सौंपने का प्रस्ताव स्वीकार लिया है। इसके अलावा दलाईलामा की शक्तियों के हस्तांतरण के लिए चार्टर में संशोधन को भी संसद ने मंजूरी दे दी है। इसके लिए मंत्रिमंडल की देखरेख में ड्राफ्टिंग कमेटी गठित की गई है।
यह कमेटी 11 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। मई के तीसरे हफ्ते में निर्वासित तिब्बतियों के प्रतिनिधियों की विशेष बैठक होगी। इसमें ड्राफ्टिंग कमेटी के सुझावों पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद मई में होने वाले विशेष सत्र में शक्तियों के हस्तांतरण पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। संसद ने निर्वासित तिब्बती राष्ट्रपति के पद के सृजन का सुझाव दिया। इस पर अंतिम निर्णय तिब्बती समुदाय की ओर से ही लिया जाएगा। प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिंपोछे के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी की संस्तुति यों के बाद निर्वासित सांसदों ने वीरवार को सदन में चर्चा कर सुझावों पर सहमति जताते हुए यह सुझाव दिया। इसके लिए तिब्बती समुदाय की विशेष बैठक आयोजित कर अंतिम निर्णय लेने का प्रस्ताव रखा गया।
निर्वासित तिब्बत सरकार ने शरणार्थियों का जीवन जी रहे समुदाय के लिए 14 जून 1991 को चार्टर को अपनाया था। इसके अनुसार दलाईलामा को तिब्बत राष्ट्र सहित निर्वासित तिब्बत संसद और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का मुखिया बनाया गया था। दलाईलामा को संसद की ओर से पारित किसी भी प्रस्ताव को स्वीकृत या खारिज करने की शक्तियां दी गई थीं, लेकिन अब उनकी ओर से राजनीतिक भूमिका से सेवानिवृत्ति लेने की घोषणा के बाद इन शक्तियों को चुने हुए प्रतिनिधि को सौंपने को लेकर संसद में गहन चर्चा की गई।
धर्मगुरु से मिले श्री श्री
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक एवं आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर एवं तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा ने शुRवार को मैक्लोडगंज में दलाईलामा के अस्थाई निवास स्थान थकलेन चोलिंग में मुलाकात कर विश्व की वर्तमान परिस्थितियों पर चर्चा की।
वर्तमान में शांति व अहिंसा के संदेश को पहुंचाने के लिए आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए दोनों ने कहा कि वैश्विक युग में अध्यात्म ही शांति का मार्ग है। मन को शांत रखने व मानसिक विकास में योग की अहम भूमिका है, ऐसे में योग व अध्यात्म के प्रचार व प्रसार के लिए सभी को मिलकर आगे आना होगा। इस अवसर पर श्री श्री रविशंकर ने पूरे विश्व में आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के माध्यम से आध्यात्मिक व योग के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यो की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाई।
दलाईलामा द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए श्री श्री रवि शंकर ने दलाईलामा के इस कार्य के सफलता की मंगलकामना की। इसके बाद रवि शंकर को दलाईलामा के निजी कार्यालय के अधिकारियों द्वारा निर्वासित तिब्बत सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यो से निर्वासित तिब्बत संसद व अन्य जानकारियां उपलब्ध करवाई गईं। युवाओं को आगे बढ़कर विकास का झंडा उठाना होगा, क्योंकि युवा ही देश को न केवल सही दिशा दे सकते हैं। बल्कि विकास की राह पर ले जाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
यह उद्गार श्री श्री रवि शंकर ने धर्मशाला के इंडोर स्टेडियम में आयोजित किए जा रहे एडवांस कोर्स में आर्ट ऑफ साइलेंस सीख रहे प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। रवि शंकर ने कहा कि विश्व की सबसे अधिक युवा शक्ति भारत के पास है लेकिन आवश्यकता है कि इस युवा शक्ति को समायोजित व संग्रहित कर सही दिशा दी जाए जिससे कि भारत पुन: विश्व गुरु बनकर उभर सके। इसमें अध्यात्म व योग का महत्वपूर्ण योगदान है। ऐसे में आवश्यकता है कि अधिक से अधिक युवा आर्ट ऑफ लिविंग जैसी संस्थाओं से जुड़कर आगे बढ़ें।
अपने धर्मशाला प्रवास के दौरान देर शाम धर्मशाला के पुलिस मैदान में आयोजित आनंदोत्सव में श्री श्री रवि शंकर ने शिरकत कर अनुयायियों को योग एवं अध्यात्म का रास्ता अपनाने की सीख दी। इस दौरान जहां पूरा शहर आर्ट ऑफ लिविंग के रंग में रंगा नजर आया वहीं ना केवल प्रदेश बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी भारी संख्या में श्री श्री रविशंकर के अनुयायियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्रोच्चार के साथ भजन व संगीत से हुआ । उसके उपरांत गुरु वंदना कर श्री श्री रविशंकर ने योग व अध्यात्म के सिद्धांतों से अनुयायियों को परिचित करवाया। इस दौरान श्री श्री रविशंकर ने आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यो में भाग लेने वाले स्वयंसेवियों की सराहना करते हुए अधिक से अधिक लोगों को राष्ट्र निर्माण के कार्यो में आगे बढ़कर आने का आह्वान किया।