धर्मशाला। दलाईलामा की ओर से अपनी राजनीतिक शक्तियां चुने हुए प्रतिनिधि को सौंपने के ऐलान के बाद उत्पन्न हुई नई स्थिति से निपटने के लिए तिब्बत निर्वासित सरकार ने प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिंपोछे के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी ने बुधवार को अपनी संस्तुति निर्वासित सांसदों के समक्ष प्रस्तुत की।
प्रो. रिंपोछे ने कहा कि अब चार्टर में संशोधन अनिवार्य हो गया है। पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री को दलाईलामा की ओर से शपथ दिलाई जाती थी, लेकिन अब नई स्थितियों में विकल्प के रूप में तिब्बत निर्वासित मुख्य न्यायाधीश को यह शक्तियां हस्तांतरित करनी पड़ेंगी। इसके साथ ही संसद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को भी और शक्तियां देना अनिवार्य हो गया है।
बुधवार को संसद में पेश किए गए सुझाव और विकल्प पर वीरवार को संसद में चर्चा की जाएगी। प्रो. रिंपोछे ने कहा कि नए विकल्पों और सुझावों को लागू करने से पहले जन प्रतिनिधियों को आम तिब्बतियों की जनसभाएं आयोजित कर उनके विचार और सुझाव भी लेना आवश्यक है। इसके लिए चुने हुए प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसी जनसभाएं आयोजित कर नए विकल्पों के प्रति जनमत तैयार करें।
नेपाल पुलिस ने जब्त की 18 मतपेटियां
निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री पद के लिए 20 मार्च को विश्व के 130 तिब्बती शरणार्थी कैंपों में शांतिपूर्ण चुनाव के बाद मतपेटियों को सुरक्षित रखा जा चुका है। वहीं नेपाल पुलिस ने मतपेटियों को जब्त कर लिया है। नेपाल में वर्तमान में 20 हजार तिब्बती निर्वासन का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जिन्होंने 20 मार्च को मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लिया था, लेकिन चीन के दबाव के चलते नेपाल पुलिस ने 18 मतपेटियों को जब्त कर लिया है तथा निर्वासित तिब्बतियों की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है। नेपाल पुलिस का कहना है कि नेपाल सरकार, तिब्बत निर्वासित सरकार को किसी प्रकार की मान्यता नहीं देती है तथा नेपाल सरकार अपने देश में किसी भी चीन विरोधी गतिविधि को बढ़ावा नहीं दे सकती। वहीं तिब्बत निर्वासित सरकार के प्रवक्ता ने नेपाल में रह रहे निर्वासित तिब्बतियों से आह्वान किया है कि वे नेपाल सरकार से मतदान प्रक्रिया को शांतिपूर्वक ढंग से पूर्ण करवाने का आग्रह करें।