नयी दिल्ली । तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा को मानद जाक्टरेट (पीएचडी) प्रदान करने से जामिया मिलिया इस्लामिया इस्लामिया विश्वविधालय को कथित रुप से रोके जाने की पुष्टि या खंडन करने से आज विदेश मंत्रालय ने इन्कार कर दिया । समझ जाता है कि पूर्वि एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और चीन के प्रधानमंत्रियों की प्रस्तावित मुलाकात को मनमुटाव से परे रखने के लिए विदेश मंतालय ने विश्वविधालय को यह कदम उठाने से रोक दिया । दोनों देशों के नेताओं की मुलाकात से संबंधों पर जमी बर्फ पिघलने की उम्मीद की जा रही है। विदेश सचिव निरुपमा राव का ध्यान आज जब इन खबरों की ओर दिलाया गया कि विदेश मंत्रालय ने दलाई लामा को मानद उपाधि दिए जाने से क्यों रोका है, तो उन्होंने कहा , हमारा ध्यान इस खबर पर गया है । दलाई लामा अत्यंत सम्मानित धर्म गुरु और आध्यामिक नेता है । स्वाभाविक ही इस खबर ने हमारा ध्यान खींचा है । हम तथ्यों का पता लगा रहे है। समझ जाता है कि चीन को औऱ नारज नहीं करने के इरादे से विदेश मंत्रालय ने दलाई लामा को मानद पीएचडी प्रदान किए जाने से रोका है। सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टीनेंट जनरल एस एस जसवाल को वीजा देने से इन्कार किए जाने और कश्मीरियों के लिए वीजा को पासपोर्ट पर अलग से नत्थी किए जाने के चीन के कदम के बाद दोनों के कदम के बाद दोनों देशों के सैन्य संबंधों में ठहराव आ चुका है औऱ भारत उसके साथ सैन्य आदान प्रदान और दौरे रोक चुका है।
दलाई लामा मानद पीएचडी रोकने के मुद्देपर विदेश मंतालयकी रहस्यमय चुप्पी
[शनिवार, 23 अक्तूबर, 2010 | स्रोत : AAJ]
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