धर्मशाला । तिब्बतियों के धर्मगुरु एवं.सर्वाच्च नेता दलाई लामा ने संन्यास के बाद किसी तरह की सरकारी गतिविधियों में शामिल होने की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। दलाई लामा ने कहा कि है कि वह अब राजनीति से तटस्थ होकर पूरी तरह से धार्मिक काम -काज देखेंगे।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने दलाई लामा के पद से संन्यास लिया है। टोक्यों में दिए इस अहम ब्यान के बाद भारत में निर्वासित तिब्बतियों में कमोबेश असुरक्षा की भावना है। चूंकि तिब्बती अब तक किसी भी राजनीतिक निर्णय को लेकर दलाई लामा पर ही निर्भर रहे है। लीगल स्कालर डा लोबसंग सांग्ये की बतौर निर्वासित प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्ति के बाद यह पहला ब्यान है। हालांकि मैकलोडगंज में अपराइजिंग डे पर दलाई लामा के संन्यास की घोषणा के बाद निर्वासित तिब्बत सरकार ने उनसे सरकार के मुख्य सलाहकर के तौर पर सेवाओं का आग्रह किया था। दलाई लामा ने मौखिक तौर पर इसे स्वीकर भी किया था। लेकिन उनके ताजा ब्यान के मायने स्पष्ट है कि दलाई लामा अब किसी राजनीतिक गतिविधि में सक्रिय नहीं रहना चाहते । दलाई लामा ने अपने ब्यान में कहा है कि दलाई लामा संस्थान आगे से निपट धार्मिक नेतृत्व को ही प्रतिबिंबित करेगा।
दलाई लामा बोले , अब सिर्फ धरम -करम।
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