विकिलीक्स द्वारा जारी राजनयिक संदेशों के अनुसार तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने पिछले वर्ष नई दिल्ली स्थित एक अमेरिकी राजदूत से मुलाकात के दौरान तिब्बत में अमेरिका से हस्तक्षेप करने के लिए अनुरोध किया था.
दलाई लामा ने पिछले वर्ष भारत में अमेरिकी राजदूत टिमोथी जे. रोमर के साथ दिल्ली में 30 मिनट तक बातचीत की थी. मुलाकात के अंत में उन्होंने दूतावास के अधिकारियों को गले लगाया था और एक अंतिम अनुरोध किया था.
संदेश के अनुसार दलाई लामा ने कहा था कि तिब्बत मर रहा है और हमें अमेरिका के मदद की जरूरत है.
एक अन्य संदेश में दलाई लामा द्वारा 2008 में तिब्बत की अशांति के दौरान अमेरिका से हस्तक्षेप करने के लिए किया गया अनुरोध भी उजागर हुआ है. उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों से ऐसी कार्रवाई करने का अनुरोध किया था, जिसका बीजिंग पर असर पड़े.
ब्रिटिश समाचार पत्र ‘गार्जियन’ में शुक्रवार को प्रकाशित खबर के अनुसार दलाई लामा ने रोमर से यह भी कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पांच से 10 वर्षो तक के लिए राजनीतिक एजेंडे को दरकिनार कर जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देना चाहिए.
दलाई लामा ने कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पांच से 10 वर्षो के लिए अपने राजनीतिक एजेंडे को दरकिनार कर देना चाहिए और उसे तिब्बत के पठार में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देना चाहिए.
संदेश के अनुसार दलाई लामा ने कहा था कि हिम शिखरों का पिघलना, वनों का क्षरण और खनन परियोजनाओं के कारण प्रदूषित पानी ऐसी समस्याएं हैं, जो इंतजार नहीं कर सकतीं, लेकिन तिब्बती लोग किसी राजनीतिक समाधान के लिए पांच से 10 सालों तक इंतजार कर सकते हैं.
रोमर ने लिखा था कि दलाई लामा ने चीन की ऊर्जा नीति की आलोचना की थी और कहा था कि तिब्बत में बांध के निर्माण से हजारों की संख्या में लोगों को विस्थापित होना पड़ा और तमाम मंदिर और मठ पानी में डूब गए.
गार्जियन के अनुसार दलाई लामा ने सुझाव दिया था कि चीनी प्रशासन, तिब्बतियों की स्वच्छंद जीवनशैली में व्यवधान पैदा करने के बदले उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण दे. उन्होंने कहा कि तीन ध्रुवों के पिघलने का खतरा उत्पन्न हो गया है. उनमें उत्तरी ध्रुव, दक्षिणी ध्रुव और तिब्बत के ध्रुव में स्थित हिमशिखर शामिल हैं.