जोधपुर. तिब्बत के धर्मगुरु 14वें दलाई लामा तीन दिवसीय दौरे पर मंगलवार को जोधपुर पहुंचे। एयरपोर्ट पर उनके स्वागत में तिब्बती समाज के कई लोग श्रद्धा से सिर झुकाए खड़े थे। लोगों ने उन्हें रेशमी दुपट्टे भेंट किए तो उन्होंने इन दुपट्टों को उन्हीं लोगों के गले में डाल दिया और स्नेह से सिर पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया।
एयरपोर्ट के बाहर तिब्बती वेशभूषा में सजे लोगों ने उनका अभिवादन किया। दलाई लामा दोपहर एक बजे जोधपुर एयरपोर्ट पर उतरे। उनके स्वागत के लिए तिब्बती समाज के लोगों की भीड़ जमा थी। रन-वे से वे सफारी गाड़ी में सवार होकर बाहर आए तो समाज की अगुवाई करने वालों तथा भारत-तिब्बत मैत्री संघ के पदाधिकारियों ने उन्हें पुष्पहार पहनाया तथा श्वेत रंग के रेशमी दुपट्टे भेंट किए।
दलाई लामा ने ये दुपट्टे उन्हीं लोगों के गले में पहना कर उनके बेहतर भविष्य का कामना की। एयरपोर्ट से वे कड़ी सुरक्षा में सीधे उम्मेद भवन पैलेस पहुंचे जहां पूर्व नरेश गजसिंह व उनकी पत्नी हेमलता राजे ने मारवाड़ी परंपरा से स्वागत किया। दलाई लामा के स्वागत में एयरपोर्ट से उम्मेद पैलेस तक के रास्ते पर झंडियां व पोस्टर लगाए गए थे।
सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध: दलाई लामा को भारत में जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। एयरपोर्ट पर खुद पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा उनकी अगवानी करने पहुंचे तथा उनके सुरक्षा सलाहकार से इंतजामों पर बात की। एएसपी ज्योतिस्वरूप शर्मा समेत कई अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद रहे तथा एस्कॉर्ट कर उन्हें उम्मेद पैलेस तक ले जाया गया।
छात्राओं से मिलेंगे दलाई लामा: दलाई लामा बुधवार सुबह 9 बजे रिक्तिया भैरूजी चौराहे पर स्थित होटल में अरावली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के विद्यार्थियों से प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान पर चर्चा करेंगे। दोपहर 1.30 बजे राजमाता कृष्णा कुमारी बालिका विद्यालय में छात्राओं को संबोधित करेंगे तथा उनके सवालों का जबाव देंगे।
14वें दलाई लामा: तिब्बत के 14वें दलाई लामा का नाम तेनजिन ग्यात्सो है। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को हुआ। उन्हें 17 नवंबर 1950 को 14वें दलाई लामा के रूप में स्थापित किया गया। उन्हें 1989 में नोबल शांति पुरस्कार भी दिया गया था।