तिब्बत.नेट, 18 मार्च, 2019
धर्मशाला। सीटीए के मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के प्रति अमेरिकी सरकार के पूर्ण समर्थन की आधिकारिक पुष्टि करते हुए अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी राजदूत सैमुअल ब्राउनबैक ने कहा कि अमेरिका दलाई लामा के मध्यम मार्ग दृष्टिकोण का समर्थन जारी रखेगा और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से आग्रह किया कि परम पावन या उनके प्रतिनिधियों के साथ तुरंत बातचीत शुरू करे।
राजदूत सैमुअल डी ब्राउनबैक ने पिछले हफ्ते 2019 क्षेत्रीय धार्मिक स्वतंत्रता फोरम की बैठक के लिए अपनी ताइवान की रणनीतिक यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की। इस मौके पर वहां के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन भी उपस्थित थे।
राजदूत ब्राउनबैक ने अपने भाषण में कहा कि मार्च 2019 ‘परमपावन दलाई लामा का निर्वासन में आने का 60वीं वर्षगांठ हो रहा है।’
उन्होंने तिब्बत पर चीन के कब्जे की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘तिब्बती सभ्यता के मूल में निहित बौद्ध आस्था पर बर्बर हमला करता है और उसका अपराधीकरण करता है।’
‘तिब्बतियों ने समझदारी से तिब्बत से अपनी अनुपस्थिति को कम करना जारी रखा है यानी वे तिब्बत में अधिक से अधिक रुक रहे हैं और उस दिन के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं जब वह अपने सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक नेता को उनकी सही जगह पर लौटाने में सक्षम हो जाएंगे।’
अमेरिकी राजदूत ने कहा, ‘हम चीनी अधिकारियों से परम पावन या उनके प्रतिनिधियों के साथ औपचारिक बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह करते हैं’। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि, ‘हम तिब्बत के चीन के एक हिस्से में रखने के विचार समेत तिब्बती पठार में सभी तिब्बतियों के लिए सार्थक स्वायत्तता के लिए दलाई लामा के मध्यम मार्ग दृष्टिकोण का समर्थन करना जारी रखेंगे।‘
उन्होंने फोरम में ताइवान स्थित तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधित्व दवा त्सेरिंग की भागीदारी का भी स्वागत किया।
उन्होंने कहा, ‘ताइवान में यहाँ परमपावन दलाई लामा के प्रतिनिधि, दाव त्सेरिंग का स्वागत करते हैं जो तिब्बत में कम्युनिस्ट शासन में पले-बढ़े हैं। जिन्होंने तिब्बती सभ्यता के मूल में निहित बौद्ध धर्म का दानवीकरण और अपराधीकरण किया है। हम इस सम्मेलन में दाव की उपस्थिति की सराहना करते हैं।’
इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम के राजदूत ने चीन के शिनजियांग में उइगर मुसलमानों, तिब्बती बौद्ध, फालुन गोंग साधकों और चीन में ईसाई समुदायों के उत्पीड़न का हवाला देते हुए चीनी सरकार की कड़ी निंदा की।
‘चीन प्रशासन ने अप्रैल 2017 से 10 लाख से अधिक उइगर, जातीय कज़ाकों और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लोगों को नज़रबंदी शिविरों में हिरासत में रख रखा है। तिब्बती बौद्ध सरकारी अनुमति के बिना अपने धार्मिक नेताओं के चयन, शिक्षण या पूजा करने के लिए भी अधिकृत नहीं हैं। हाउस चर्च के नेताओं को हिरासत में लिया जाता है और उनके चर्चों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा लागू धर्म के कड़े प्रतिबंधों के अनुसार बंद कर दिया जाता है। और फालुन गोंग साधकों को चीनी सरकार द्वारा कथित रूप से प्रताड़ित किया जाता है और हिरासत में रखा जाता है।‘
1998 के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत अमेरिकी सरकार द्वारा चीन को उसके द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता पर दमन और घोर उल्लंघन के कारण ‘चिंता का विषय’ देश के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया था।