समय: 14 जून, 2011
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के अपनी राजनीतिक शक्तियां त्यागने के बाद पहली बार निर्वासित सरकार ने अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल किया है।
तिब्बती प्रशासन के प्रवक्ता ने बताया कि कशग (मंत्रिमंडल) ने पदस्थ विशेष दूत, दूतों और दलाई लामा के प्रतिनिधियों की दोबारा नियुक्ति की घोषणा की. दलाई लामा ने 29 मई को संविधान में संशोधन के साथ इन सभी का कार्यकाल समाप्त कर दिया था।
घोषणा के मुताबिक तिब्बत को स्वायत्ता के मुद्दे पर चीन के साथ चल रही वार्ता के लिए विशेष दूत कसुर लोदी ज्ञारी और दूत केलसांग ज्ञाल्सतेन दलाई लामा के प्रतिनिधि बने रहेंगे।
इस मुद्दे पर समाधान के लिए साल 2002 से अब तक दोनों पक्षों के बीच नौ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक इस दिशा में कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल नहीं हुई है।
इसी तरह तेम्पा क्षीरिंग दिल्ली में, कसुर लोबसांग न्यानदक जायुल अमेरिका में और सोनम नोर्बू आस्ट्रेलिया में दलाई लामा के प्रतिनिधि बने रहेंगे। दलाई लामा ने 350 साल पुरानी तिब्बती परम्परा से अलग एक एतिहासिक कदम उठाते हुए पिछले महीने निर्वासित तिब्बतियों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपने औपचारिक प्राधिकार हस्तांतरित कर दिए थे।