परम पावन दलाई लामा के बाताये अहिंसा , करुणा और प्रेम के रास्ते पर ही चलने से विश्व का विकास औऱ मानव का कल्यण संभव है । ये रास्ते ये रास्ता शांति और सदभाव स्थापित करने में भी कारगर होगा में भी कारगर होगा। यह बातें परम पावन दलाई लामा के नोबोल शांति पुरस्कार प्राप्ति की 21वीं वर्षगांठ पर शक्रुवार को तिब्बती निर्वासित समाज एंव भारत -तिब्बत मैत्री संघ के संयुक्त तत्वावधानमें आयोजित वेनियाबाग स्थित लाम्हा मार्केट में आहिंसा दिवस की संगोष्टी में मुख्य अतिथि सम्पर्णानंद संस्कृत विश्वविधालय के वाइसचांसलर प्रोफोसर कुटुम्ब शास्त्री ने व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि तिब्बतवसियों से भारत का अच्छा संबंध है। इसे औऱ मजबूत करने की जरुरत है। देशके अनेक शहरों में तिब्बतियों द्वारा गर्म कपडों का मार्केट लगाये जाने का उल्लेख करते हुए मुख्य अतिथि सम्पर्णानंद संस्कृत विश्वविधालय के वाइसचांसलर प्रोफसर कुटुम्ब शास्त्री ने व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि तिब्बतवासियों से भारत का अच्छा संबंध है। इसे और मजबूत करने की जरुरत है। देशके अनेक शाहरों में तिब्बतियों द्वारा गर्म कपडों का मार्केट लगाये जाने का उल्लेख करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि व्यवसायिक और व्यवहारिक दृष्टि से भारत ने तिब्बतियों का सदैव सहयोग किया है । इस इस मैत्री को कायम रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। मुख्य अतिथि ने अहिंसा परमोधर्म का शास्त्रों में भी उल्लेख किये जाने की बात करते हुए िसे एक साधना बताया और कहा कि इस रास्ते पर चलना मुशिकुल जरुर है, लेकिन यहीं मार्ग शांति प्राप्तिका साधन है। कार्यक्रम में निर्वासित तिब्बती सरकार के सांसद वेरी जिगमे ने तिब्बत देश के विधालयों में चीन द्वारा चीनी भाषा का प्रयोग किये जाने का योजना को संसद चीन में मंजबूरी दिये जाने की निंदा करते हुए इसका जोरदार विरोध किया । उन्होंने इस वर्ष नोबल पुरस्कार लुई सैवों को दिये जाने का स्वागत किया और देश के अरुणांचल प्रदेश, हिमांचल प्रदेश , किन्नौर आदि जगहों पर भई 10 दिसम्बर को अहिंसा दिवस के रुप में मनाये जाने की सराहना की। संगोष्ठी में नगर मजिस्ट्रेट श्रीनाथ शुक्ल ने कहा कि परम पावन दलाई लामा के बताये अहिंसा के मार्ग के साथ प्रकृति भी है।
दलाई लामा के करुणा और प्रेम के सूत्र से मानव कल्याण संभव
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