tibet.net / धर्मशाला। त्रिपुरा के मंत्री श्री राम प्रसाद पॉल ने आज ११ अप्रैल की सुबह लगभग १०:०० बजे निर्वासित तिब्बती संसद का दौरा किया। इस दौरान स्थायी समिति के सदस्यों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस यात्रा का समन्वय श्री ऋषि वालिया द्वारा किया गया था जो कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के उत्तर भारत के क्षेत्रीय संयोजक हैं।
स्थायी समिति के सदस्यों ने माननीय राज्य मंत्री को तिब्बती संसद भवन का दौरा कराया और निर्वासित तिब्बती संसद के कामकाज पर प्रकाश डाला। बाद में उन्हें स्थायी समिति के सदस्यों द्वारा सम्मेलन हॉल में ले जाया गया, जहां उनको निर्वासित तिब्बती संसद और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की समग्र संरचना के बारे में गहन परिचय दिया गया। उन्होंने सदस्यों से चीन-तिब्बत संघर्षों के बीच बातचीत की वर्तमान स्थिति के बारे में पूछा, जिसमें सदस्यों ने इस तरह की बातचीत की जल्द बहाली पर सीटीए की इच्छाओं के बारे में बताया। यह संवाद परम पावन दलाई लामा और सीटीए के मध्यम मार्ग दृष्टिकोण की नीति है, जिसमें चीनी सरकार को चीन के जनवादी गणराज्य के ढांचे के भीतर तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों में रहने वाले सभी तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता देने के लिए तैयार होने का प्रस्ताव है। चीनी सरकार द्वारा बार-बार अस्वीकार किए जाने के कारण नौवें दौर की वार्ता के बाद वर्ष २०१० से चीन-तिब्बत संवाद रुका हुआ है।
बाद में उन्हें परम पावन १४वें दलाई लामा पुस्तक ‘माई लैंड एंड माई पीपुल’ की प्रति तिब्बतियों और भारतीयों के बीच संबंधों को गहरा करने के लिए स्मारिका के तौर पर प्रस्तुत किया गया।