धर्मशाला। निर्वासित तिब्बती संसद के एक प्रतिनिधिमंडल ने गोवा में अपना आधिकारिक तिब्बत एडवोकेसी कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किया। प्रतिनिधिमंडल में सांसद गेशे ल्हारम्पा अटुक छेतेन, छानेछांग धोंडुप ताशी और छेरिंग यांगचेन शामिल थे। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने राज्य विधानसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्रियों और सांसदों से मुलाकात की।
२७ जनवरी को कैलंगुट और बागा के तिब्बती स्वेटर विक्रेताओं के अध्यक्ष ताशी राप्टेन और प्रतिनिधियों ने सांसदों से संपर्क कर अपनी शिकायतों से उन्हें अवगत कराया था। इसके बाद तिब्बती सांसदों ने राज्य के नेताओं के साथ अपनी बैठक में कपड़ा विक्रेताओं के प्रतिनिधियों को भी शामिल करने की अनुमति ले ली थी। तिब्बती सांसदों के साथ राज्य के नेताओं से मिलने गए सोनम छोमो, न्यिमा छेरिंग, कांगंगा और जिनपा को राज्य के प्रमुख नेताओं की ओर से शिकायतों को दूर करने में सहायता का आश्वासन मिला।
अगले दिन उन्होंने गोवा के स्वास्थ्य, टीसीपी, वन, शहरी विकास, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्री विश्वजीत राणे के साथ बैठक की। तिब्बती सांसदों ने मंत्री को तिब्बती संसद की एक स्मारिका और एक दस-सूत्रीय अपील-पत्र भेंट किया, जिसमें तिब्बत मुद्दे की जोरदार वकालत की गई है। इसके बाद उन्हें गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और श्री विश्वजीत के पिता श्री प्रताप सिंह राणे से मिलने का सौभाग्य मिला। बैठक के दिन श्री प्रताप सिंह राणे का ८५वां जन्मदिन भी था। १९६१ में गोवा में पुर्तगाली शासन के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्री प्रताप सिंह राणे ने सात बार गोवा के प्रभावशाली मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है।
दोपहर में संसद सदस्यों ने डॉ. बी.आर. आंबेडकर के अनुयायी विश्वभूषण समिति नामक भारतीय बौद्ध संघ की कार्य समिति की नई चुनावी बैठक में भाग लिया। यहां सांसद छेरिंग यांगचेन ने निर्वासित तिब्बती संसद के कामकाज पर जानकारी दी और धोंदुप ताशी सहित संसद सदस्यों ने तिब्बत में बोर्डिंग स्कूलों की स्थिति के बारे में बात की। उधर, गेशे ल्हारम्पा अटुक छेतेन ने धार्मिक सद्भाव के बारे में बात की। अंत में नए अध्यक्ष श्री सतीश एस. कारगनाकर, पूर्व अध्यक्ष श्री. एस. जाधव और महासचिव श्री निखिल प्राजक्ते को तिब्बती औपचारिक स्कार्फ ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
२९ जनवरी की सुबह गोवा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जोआना पी. कोएल्हो के सहयोग से सांसद छेरिंग यांगचेन ने गोवा विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान विभाग में ‘भारत के लिए तिब्बत क्यों मायने रखता है’ विषय पर व्याख्यान दिया। बातचीत के दौरान उन्होंने निर्वासित तिब्बती समुदाय के जीवन और तिब्बत में संकट पर भी चर्चा की। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा सदस्य एवं गोवा भाजपा के अध्यक्ष श्री सदानंद तनावड़े से मुलाकात की और उन्हें तिब्बती संसद का अपील-पत्र, संबंधित दस्तावेज एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया। दोपहर में उनकी मुलाकात गोवा के विधायक और गोवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्री यूरी अलेमाओ से हुई। अलेमाओ को केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के कामकाज के बारे में जानकारी दी गई और धर्मशाला आने का निमंत्रण दिया गया।
२९ जनवरी की शाम को सांसदों ने गोवा विधानसभा के अध्यक्ष श्री रमेश तवाड़कर से मुलाकात की और उपरोक्त मुद्दों पर जानकारी दी। स्पीकर ने तिब्बत के उचित मुद्दे को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया।
३० जनवरी को सांसदों ने गोवा कांग्रेस के महासचिव श्री सावियो डिसूज़ा से मुलाकात की और महात्मा गांधी की शहादत की ७६वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इसके बाद उन्होंने गोवा विधानसभा के उपाध्यक्ष श्री जोशुआ डिसूजा के साथ बैठक की। इसके बाद गोवा सरकार में समाज कल्याण, नदी जलमार्ग, अभिलेखागार और पुरातत्व मंत्री श्री सुभाष फाल देसाई और राज्यसभा और ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंटरी फोरम फॉर तिब्बत (एपीआईपीएफटी) के पूर्व सदस्य श्री विनय तेंदुलकर के साथ मुलाकात की। बाद में शाम को ये सांसद कैलंगुट में तिब्बती कपड़ा विक्रेताओं से मिलने गए। अंत में ३१ जनवरी को निर्वासित तिब्बती संसद के प्रतिनिधिमंडल ने गोवा के मुख्य सचिव श्री (डॉ.) पुनीत कुमार गोयल से मुलाकात की और उन्हें संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए गए और उपरोक्त मुद्दों से अवगत कराया।