14 नवंबर, 2022
प्राग (चेक गणराज्य)।वर्तमान में यूरोप की आधिकारिक दौरे पर गए निर्वासित तिब्बती संसदीय प्रतिनिधिमंडल के तीन सदस्यों- सांसद यूडन औकात्संग, तेनपा यारफेल और वांगड्यू दोरजी ने 14 नवंबर 2022 को चेक सीनेट के उपाध्यक्ष जित्का सीटलोवा और जिरी ओबरफाल्जर द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन का आयोजन चेक सीनेट में फ्रेंड्स ऑफ तिब्बत ग्रुप,इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत, चेक सपोर्ट तिब्बत, सिनोप्सिस और यूरोपियन वैल्यू सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी के सहयोग से किया गया था। सम्मेलन में इस बात पर चर्चा हुई कि तिब्बत संकट को दूर करने के लिए चेक गणराज्य और यूरोपीय संघ क्या कर सकते हैं?और इसका संकल्प यूरोप के हित में क्यों है?
चेक गणराज्य की सीनेट में सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की शुरुआत चेक सीनेट के उपाध्यक्ष जिरी ओबरफाल्जर के वक्तव्य से हुई। इसके बाद चेक सीनेट में तिब्बत समर्थन समूह के अध्यक्ष प्रीमिस्ल रबास और चेक गणराज्य के विदेश मामलों के उपमंत्री जिरी कोज़ाक ने स्वागत भाषण दिया। इसके बाद चेक गणराज्य के यूरोपीय मामलों के उपमंत्री मारेक हावरा और निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य यूडन औकात्सांग का संबोधन हुआ।
पहले सत्र में दलाई लामा और मध्य-पूर्वी यूरोप में सीटीए की प्रतिनिधि थिनले चुक्की के साथ तिब्बत की स्थिति पर चर्चा की गई।तिब्बत में मानवाधिकारों की स्थिति पर बोलते हुए निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य तेन्पा यारफेल ने तिब्बत में धर्म की स्वतंत्रता और तिब्बती लामाओं के उत्तराधिकार पर अपना विचार रखा। इसके बाद अंत में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर माइकल वैन वॉल्ट वान प्राग ने तिब्बत की स्थिति और चीन-तिब्बती संघर्ष को हल करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी पर अपनी बात रखी।
दूसरे सत्र में तिब्बती संकट का समाधान करने के लिए यूरोपीय संघ क्या कर सकता है?विषय पर बोलते हुए निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य यूडन औकात्संग ने बताया कि तिब्बत का समर्थन करना यूरोप के हित में क्यों है। इसके बादराज्य और चीन- यूरोपीय संघ संबंधों की संभावनाओं,यूक्रेन युद्ध,चीन और तिब्बत पर यूरोपीय संघ की विदेश नीति पर प्रभावऔर यूरोपीय विदेश कार्रवाई सेवा के नीति अधिकारी – चीन बालाज़ गार्ग्या,यूरोपियन वैल्यू सेंटर फॉर सिक्युरिटी पॉलिसी के विश्लेषक डेविड प्लासेक और यूरोपीय संसद के सदस्य इसाबेल सैंटोस ने यूरोपीयन संसद की भूमिका पर चर्चा की।
इसी तरह तीसरे सत्र में निर्वासित तिब्बतियों के साथ अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य,सहयोग और साझेदारी की संभावनाओं पर चर्चा हुई। विदेशी मामलों की रक्षा और सुरक्षा पर सीनेट समिति के अध्यक्ष पावेल फिशर ने तिब्बती संकट को हल करने के विकल्पों की खोज,उदार लोकतंत्र की भूमिका आदि पर पर बात की। इसके बाद चैंबर ऑफ डेप्युटी के सदस्य ईवा डेक्रॉइक्स ने तिब्बत में मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने और समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग पर बात की। संयुक्त राष्ट्र एडवोकेसी टीम के प्रमुख और इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत- जर्मनी के कार्यकारी निदेशक काई मुलर ने‘तिब्बत- चीन में मानवाधिकारों के लिए युद्ध का मैदान बना संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’विषय पर अपनी बात रखी। अंत मेंद कंपेन फॉर हांगकांग के अध्यक्ष सैमुअल चू ने मानवाधिकारों और लोकतंत्र को आगे बढ़ाने के लिए हांगकांग और तिब्बत के सेतु और अवसर बनने पर बात की।
सम्मेलन का समापन इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत-यूरोप के कार्यकारी निदेशक वांग्पो तेथोंग, विदेश मामलों की समिति के सदस्य और चेक चैंबर ऑफ डेप्युटी के तिब्बत समर्थन समूह के अध्यक्ष हयातो जोसेफ ओकामुरा और चेक सीनेट के उपाध्यक्ष जित्का सीटलोवा के संबोधन के साथ हुआ।