तिब्ब्त.नेट, 15 फरवरी, 2019
रोड आइलैंड। सीटीए के राष्ट्रपति डॉ. लोबसांग सांगेय ने अहिंसा और शांति अध्ययन केंद्र के निमंत्रण पर रोड आइलैंड विश्वविद्यालय का दौरा किया। राष्ट्रपति सांगेय का यहां केंद्र के प्रमुख डॉ. पॉल बीनो डी मेसक्विटा (पीएचडी) और विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ डेविड एम डोले ने स्वागत किया।
राष्ट्रपति सांगेय ने छात्रों और संकाय सदस्यों के एक सौ से अधिक प्रतिभागियों के बीच ‘नन वायलेंट स्ट्रंगल एंड इंटरनेशनल रिलेशंस ऑफ तिब्बतन पीपुल पीस लेसन फॉर द वर्ल्ड‘’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने समझाया कि वह तिब्बत के मुद्दे पर जागरुकता पैदा करने के लिए दुनिया भर में यात्रा करते हैं लेकिन अफसोस जताया कि उनकी यात्रा को अखबारों के पहले पन्ने पर कभी नहीं छापा गया क्योंकि इसमें हत्या, आत्मघाती हमलावर या बंदूकें शामिल नहीं थीं। उन्होंने कहा कि अहिंसा और शांति के लिए यह एक चुनौती है।
राष्ट्रपति सांगेय ने फ़्रीडम हाउस रिपोर्ट का हवाला देते हुए तिब्बत मुद्दे को अविलंब उठाने पर बल दिया जिसके अनुसार तिब्बत को सीरिया के बाद सबसे कम आजादी वाले देश के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यह अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टरों के लिए तो उत्तर कोरिया की तुलना में कहीं अधिक दुरूह जगह के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने आगे कहा, ‘जहां व्यवहार में लाने की बात है तो अहिंसा का पालन बहुत कठिन बात है। जब विदेशी सेना अपनी मातृभूमि में घुस आए और आपके पूरे देश पर कब्जा कर ले तो आप क्या करेंगे? जब भूमि का शोषण होता है, पेड़ काटे जाते हैं और आपके हजारों लोगों की जान ले ली जाती है तो उस समय आप क्या करेंगे?
उन्होंने कहा, ‘एक बौद्ध के रूप में हमें यह मानना होगा कि हर किसी में बुद्ध प्रकृति या प्रबुद्ध बनने की क्षमता है। बौद्ध धर्म का मानना है कि हर कोई स्वाभाविक रूप से अच्छा है और हिंसक कार्य के मामले में कर्ता और क्रिया अलग रखा जाना चाहिए। हम हिंसात्मक क्रिया की निंदा करते हैं, लेकिन कर्ता की नहीं। कर्ता को अच्छा बनाने के लिए उसका ह्दय परिवर्तन किया जा सकता है और उसे सुधारा जा सकता है।‘
उन्होंने कहा कि अहिंसा का पालन करना बहुत कठिन है। फिर उन्होंने उन 153 तिब्बतियों का उल्लेख किया जिन्होंने एक भी चीनी पुलिसकर्मी या एक चीनी संपत्ति को नुकसान पहुंचाए बिना आत्मदाह कर लिया है।
तिब्बत मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए मध्य मार्ग दृष्टिकोण पर उन्होंने कहा, ‘अहिंसा और संवाद के माध्यम से, तिब्बती लोग पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के संविधान और नेशनल रिजनल ऑटोनॉमी लॉ के अंतर्गत वास्तविक स्वायत्तता चाहते हैं। यह दोनों पक्षों के लिए विजय का प्रस्ताव है, जिसे चीनी शासन ने स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है।‘
सांगेय ने कहा कि हालांकि, यह बहुत ही पाखंडपूर्ण बात है कि चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध के दौरान चीनी नेतृत्व को मुद्दे के समाधान के रास्ते पर आगे बढ़ने के तौर पर समय और फिर से ‘सहयोग’ करने जैसी शब्दावलियों को उद्धृत करते हुए देखा गया। यह एक ऐसा शब्द है जिसका बार-बार उपयोग परम पावन दलाई लामा के दूतों ने चीन सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान किया था।‘ राष्ट्रपति सांगेय ने कहा, ‘तिब्बत के बारे में बात करते समय आपकी बातचीत कहाँ थी?’
उन्होंने तिब्बती लोगों के साथ समर्थन और एकजुटता जताने के लिए अमेरिका की सरकार और वहां की जनता के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए अमेरिका की राजधानी में आयोजित ‘थैंक यू अमेरिका’ कार्यक्रम में अपनी भागीदारी की चर्चा की। ‘और 60 साल बाद भी दुनिया भर के दोस्तों की वजह से तिब्बत मजबूत बना हुआ है।‘
उन्होंने बातचीत को समाप्त करते हुए कहा, ‘जिस तरह तिब्बत में नष्ट हुए मठों को निर्वासित तिब्बतियों ने निर्वासन के उन उन स्थानों पर फिर से ईंट-ईंट जोड़कर निर्माण किया है, वैसे ही हमारी अहिंसा का मुद्दा भी जल्द ही इंच दर इंच बढ़ता जाएगा। लोक-लुभावनवाद, उग्रवाद और राष्ट्रवाद के उदय के बीच हमें अपनी उम्मीदों को जीवित रखना चाहिए।‘
व्याख्यान को उपस्थित लोगों ने बहुत ध्यान पूर्वक और अच्छी तरह से सुना और उसके बाद एक प्रश्नोत्तर का सत्र रखा गया। विश्वविद्यालय के अहिंसा और शांति अध्ययन केंद्र के प्रमुख डॉ पॉल बीनो डी मेसक्विटा (पी.एचडी) ने अपने विचारों को यहां लोगों के साथ साझा करने के लिए राष्ट्रपति सांगेय के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्हें सर्टीफिकेट ऑफ रिकॉग्निशन से सम्मानित किया।