आज हम ऐतिहासिक तिब्बती लोकतंत्र दिवस की तिरसठवीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस अवसर पर कशाग (तिब्बत की निर्वासित सरकार का मंत्रिपरिषद)तिब्बत के अंदर और बाहर दोनों जगह रहनेवाले तिब्बतियों की ओर से तिब्बती राजनीति कव्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने के लिए परम पावन महान चौदहवें दलाई लामा को गहरी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस अवसर पर कशाग अपने विशिष्ट अतिथियोंको भी अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहता है। हमारे अतिथिगण हैं- स्वीडिश संसदीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल मॉडरेट पार्टी के माननीय सांसद मार्गरेटा एलिज़ाबेथ सीडरफेल्ट, जोहाना हॉर्नबर्गर, मैरी चार्लोट निकोलसन, मारिया विक्टोरिया स्टॉकहॉस, एलेक्जेंड्रा एंस्ट्रेल, एन-सोफी लिफवेनहेज, जॉन ई़वेनरहॉल, स्वीडेन डेमोक्रेट्स पार्टीके सांसद माननीय रिचर्ड जोहान्स जोम्शॉफ़ और ब्योर्न सॉडर, क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स पार्टी से सांसद माननीय गुडरून मार्गरेटा ब्रुनेगार्ड,ग्रीन पार्टी से सांसद माननीय जैनीन सोफिया अल्म एरिक्सन और स्वीडिश-तिब्बतकमेटी के माननीय श्री कार्ल मैटियास और सुश्री क्रिस्टीना इवा मारिया ब्योर्नरस्टेड। हम दुनिया के विभिन्न हिस्सों से सीटीए के डोनर कांफ्रेंस (दानदाता सम्मेलन) के प्रतिनिधियों का भी गर्मजोशी से स्वागत करते हैं। इस अवसर परहम तिब्बत के भीतर और बाहर रहनेवाले सभी तिब्बतियों के साथ-साथ दुनिया भर में फैले तिब्बत समर्थकों और तिब्बती लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं भेज रहे हैं।
कशाग द्वारा तिब्बती लोकतंत्र दिवस पर जारी पिछले दो बयानों में संक्षेप में बताया गया है कि कैसे परम पावन दलाई लामा ने वर्षों से तिब्बतियों के बीच लोकतंत्र की संस्कृति को स्थापित किया है। इन बयानों में तिब्बती प्रशासन के भीतर लोकतंत्र के तीन स्तंभों के विकास का भी सिंहाव लोकन किया गया है। आजहम तिब्बत के संवैधानिक इतिहास के क्रमिकविकास के विभिन्न चरणों पर संक्षेप में चर्चा करेंगे।
जब हम अपनी कानूनी प्रणाली के इतिहास पर नजर डालते हैंतो तिब्बत के पहले राजा न्यात्री छेनपो के शासनकाल के दौरान “दो दंड और पांच दृष्टिकोण” जैसे कानूनों को सक्रिय पाते है। सम्राट सोंगछेन गम्पो के शासनकाल में दस दिव्य गुण और १६आचार संहिता लागू रहींऔर तिब्बती साम्राज्यके दौरान पांच संहिताएं और पांच कानून प्रचलित हुए। तिब्बत के विखंडन के दौर में हमारी कानूनी व्यवस्था में कुछ गिरावट देखी गई। शाक्य शासनकाल में उस समय प्रचलित मंगोलियाई कानूनों को अपनाया गया।इसके बाद फागमोद्रुपा के शासनकाल में१५कानूनी संहिताएं, डेपा छंगपा के दौरान १६कानूनी संहिताएं और गाडेन फोडरंग के दौरान १३कानूनी संहिताएं अपनाई गईं। इस प्रकारतिब्बत ने अपने पूरे इतिहास में अपने स्वयं के राष्ट्रीय कानून, धार्मिक कानून और मानव आचार संहिताओं को नियंत्रित करने वाले कानून विकसित किए हैं।
निर्वासन में भारतआने के बाद१९६३ में परम पावन दलाई लामा ने संविधान लागू किया। इस संविधान के तहत पारंपरिक प्रशासनिक ढांचे में बड़े सुधारों की शुरुआत हुईऔर लोकतांत्रिक शासन के तीनों स्तंभों के बीच नियंत्रण और संतुलन की प्रणाली की शुरुआत हुई। संविधान ने करुणा, न्याय, समता, अहिंसा और पर्यावरण चेतना के मूल मूल्यों जैसे हमारे पारंपरिक लौकिक और धार्मिक कानूनी संहिताओंको बरकरार रखते हुए लोगों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा की। इसके अलावाइस संविधान ने १९९१ में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सदस्यों कीतिब्बतन पीपुल्स डिप्टीज की ११वीं सभा द्वारा निर्वासित तिब्बतियों के चार्टर को अपनाने के लिए आवश्यक पृष्ठभूमि को तैयार किया।
निर्वासित तिब्बतियों के चार्टर को अपनाने से पहले१९६० से १९९० तक डिप्टीज ने असेंबली ऑफ तिब्बतन पीपुल्स डिप्टीज़ (एटीपीडी) के साथ-साथ नेशनल असेंबली के स्थायी आयोग-दोनों के सदस्यों के तौर पर कार्य किया। प्रशासन और लोक कल्याण से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए एटीपीडी द्वारा केंद्रीय और स्थानीय नौकरशाहोंके साथ-साथ सभी तिब्बती सेटलमेंट के प्रतिनिधियों की अर्ध-वार्षिक और वार्षिक कार्यसभाएंआयोजित की गईं। इन सभाओंने लोगों के प्रतिनिधियों को प्रशासन की निर्णय लेने की प्रक्रिया में जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर भाग लेने के लिए मंच प्रदान किया। १९७२ से १९७४ के बीच चुनाव आयोग, लोक सेवा आयोग और तिब्बती मुक्ति साधना के कामकाज को संचालित करने वाले नियम और कानून भी बनाए गए। महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मामलों पर चर्चा और निर्णय लेने के लिए कालोन्स, सांसदों और वरिष्ठ नौकरशाहों की उच्चस्तरीय राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया। इन सभी गतिविधियोंने अंततः निर्वासित समुदाय के भीतर शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली को साकार करने के लिए मजबूत नींव रखी।
११ से १७ मई १९९० तक धर्मशाला में तिब्बती लोगों की एक विशेष बैठक बुलाई गई, जिसमें ३६९ प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बैठक में कशाग के सदस्य, एटीपीडी के सदस्य, वरिष्ठ नौकरशाह, विभिन्न तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रतिनिधि, तिब्बती गैर सरकारी संगठन, विभिन्न तिब्बती बस्तियों के प्रतिनिधि और तिब्बत से नए आए तिब्बतियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस ऐतिहासिक बैठक में परम पावन दलाई लामा ने कशाग (परमपावन दलाई लामा द्वारा नियुक्त कालोन्स) और तिब्बती पीपुल्स डिप्टीज की १०वीं सभा को भंग कर दिया। जैसा कि परम पावन द्वारा अधिकृत किया गया था, इस विशेष बैठक ने अंतरिम कशाग के लिए तीन कलोन को निर्वाचित किया। परम पावन ने बैठक में आवश्यक लोकतांत्रिक सुधार पर चर्चा करने और इस बारे में प्रस्ताव देने का आग्रह किया। इसके बाद बैठक में १४ महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। इससे तिब्बती न्याय आयोग की स्थापना और निर्वासित तिब्बती संसद में तिब्बत के तीन पारंपरिक क्षेत्रों में से प्रत्येक से १० सांसदों तक,तिब्बती बौद्ध धर्म के चार संप्रदायों और मूल तिब्बती बॉन धर्म में से प्रत्येक से दो-दो सांसदोंको निर्वाचित करने की शक्ति का विस्तार हुआ। इसके साथ परम पावन दलाई लामा द्वारा नामित तीन सांसदों को इसमें स्थान दिया गय। इसके अलावापांच सदस्यीय संविधान मसौदा समिति का गठन किया गया।
संविधान सभा के रूप में अपनी भूमिका ग्रहण करते हुए इस नवगठित ११वीं तिब्बती संसद और संविधान मसौदा समिति के सदस्यों ने ३० मई १९९१ को चार्टर के मसौदे पर विचार-विमर्श किया। इसके बाद ३१ मई कोकार्यवाहक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करनियम और विनियम संसदीय प्रक्रिया और कार्य संचालन प्रणालीको अपनाया गया। ०३ से १३ जून १९९१ तक ड्राफ्ट चार्टर की सामग्री पर गहन चर्चा के बाद१४ जून १९९१ को सभी सांसदों ने निर्वासित तिब्बतीचार्टर पर हस्ताक्षर किए। २८ जून १९९१ को परम पावन दलाई लामा ने चार्टर पर अपनी सहमति दे दी।
पिछले ३५ वर्षों में चार्टर में ३५ संशोधन हुए हैं। इनमें से ८५% से अधिक संशोधन तिब्बती राजनीति के तीन स्तंभों- कशाग, संसद और सर्वोच्च न्यायिक आयोग के माननीयोंकी योग्यता, चुनाव प्रक्रियाओं और जिम्मेदारियों से संबंधित हैं। इनमें से लगभग पंद्रह१५संशोधन विशेष रूप से कशाग से संबंधित थे, जिनमें छह संशोधन २०११ के बाद किए गए।
यदि हम इस संविधान के तहत मिलीं विधायी उपलब्धियों को देखेंतो चार्टर को अपनाने के दो वर्षों के भीतर ही ११कानून पारित किए गए। इनमें-संसदीय प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम और विनियमन,तिब्बती संसद की स्थायी समिति के नियम और विनियम,केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए)के प्रशासनिक नियम और विनियम,लोक सेवा आयोग के नियम और विनियम,धन जुटाने, वार्षिक बजट और वित्तीय प्रबंधन पर निर्वासित तिब्बती नियम और विनियम,क्षेत्रीय तिब्बती मुक्ति साधना समिति के नियम और विनियम,तिब्बती स्वैच्छिक अंशदान और अन्य अंशदान अधिनियम के नियम और विनियम,महालेखा परीक्षक के कार्यालय के नियम और विनियम,तिब्बती संसदीय सचिवालय के नियम और विनियम,स्टाफ क्वार्टरों और सेवानिवृत्त स्टाफ क्वार्टरों के आवंटन के लिए नियम और विनियमऔर सीटीए के उत्कृष्ट कर्मचारियों को उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान करने के लिए नियम और विनियम जैसे कानून शामिल हैं।
इसी तरह १९९५ से २०१५ तक की बीस वर्षों की अवधि में१५नियम और कानून अपनाए गए। इनमें छह गणमान्य व्यक्तियों के विशेषाधिकारों और लाभों से संबंधित थे। उदाहरण के लिए, तिब्बती संसदीय आवास नियम (१९९५),तिब्बती संसद अध्यक्ष राहत ट्रस्ट कोष नियम (१९९७),निर्वासित तिब्बती चुनाव नियम (२०००),केंद्रीय तिब्बती चिकित्सा परिषद अधिनियम (२००३),न्याय आयुक्तों, सांसदों, सिक्योंग, कालोंस और तीन स्वायत्त निकायों के प्रमुखों के वेतन, भत्ते और विशेषाधिकारों से संबंधित छह अलग-अलग नियम और विनियम (२००४),बस्तीआवास और भूमि उपयोग विनियम (२००५),तिब्बती धार्मिक मामलों की परिषद को विनियमित करने वाला अधिनियम (२००९),स्थानीय तिब्बती सभा नियम (२०१०) के सदस्यों का दैनिक भत्ता और अन्य अधिकार, दान एकत्र करने पर नियम (२०११),तिब्बती संसद के गैर-स्थायी समिति सदस्यों के कार्यों के आधिकारिक बनाने को लेकर नियम (२०१५) शामिल हैं। हालांकि, २०१५ के बाद से कोई नया कानून पारित नहीं किया गया है।
उपरोक्तनियमों और विनियमों में से तिब्बती धार्मिक मामलों की परिषद को विनियमित करने वाला अधिनियम लागू नहीं हुआ है, जबकि कुछ अन्य कानून धीरे-धीरे अपनी प्रभावशीलता खो चुके हैं।
तिब्बती लोक सेवा आयोग के नियमों और विनियमों में सबसे अधिक २६ बार संशोधन हुए।इसके बाद निर्वासित तिब्बती चुनाव नियम में२० बारऔर कर्मचारी क्वार्टर और सेवानिवृत्त कर्मचारी क्वार्टर नियमों का आवंटन में१९ बार संशोधन हुए। निर्वासित तिब्बती संसद ने पहले ही १६वें कशाग द्वारा प्रस्तुत विधेयक को पारित कर दिया है, जिसका लक्ष्य तिब्बती प्रशासन के भीतर कार्यबल सीमांकन को मानकीकृत करना और विशेष नियुक्तियों के लिए संरचित मानदंड और पूर्वापेक्षाएं स्थापित करना है। कशाग तिब्बती संसद के आगामी सत्र के दौरान एक नया विधेयक पेश करने की एक बार फिर तैयारी कर रहा है। इस प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य लोक सेवा आयोग के नियमों और विनियमों में अतिरिक्त संशोधन पेश करना है, जिसका लक्ष्य तिब्बती कार्यबल की समग्र संरचना को बढ़ाना और उनके विशेषाधिकारों और लाभों में एकरूपता को बढ़ावा देना है। इसी प्रकारचार्टर के संशोधनके अनुरूपहम वर्तमान में उन नियमों की गहन समीक्षा कर रहे हैं जो हमारी चुनावी प्रक्रियाओं की देखरेख करते हैं। संसद ने पहले ही हमारे प्रस्तावित विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य हमारे नवागत नौकरशाहों के लिए आवासीय क्वार्टरों का विस्तार करना है। इस विधेयक में कर्मचारियों के आवास के आवंटन के दौरान उत्पन्न होने वाले किसी भी विरोधाभासी प्रावधानों से निपटने के प्रावधान भी शामिल हैं। तिब्बती बस्तियों की दीर्घकालिक स्थिरता को सुरक्षित करने के लिए कशाग ने तिब्बतियों के बीच भूमि और आवास के आंतरिक हस्तांतरण को सक्षम करने के उपाय शुरू किए हैं। इसके अतिरिक्त, विदेश में रहने वाले व्यक्तियों के लिए प्रावधान बनाए गए हैं। इसके अनुसारयदि वे हर दो साल की अवधि के भीतर कम से कम एक महीने के लिए अपनी बस्तियों के आवासों में निवास करते हैं तो उनके घर और भूमि के अधिकार बरकरार रहेंगे और उन्हें आवास छोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी।
हमारी कानूनी प्रणाली में एक और प्रगति यह हुई है कि चार्टर के अनुच्छेद-६७ में तिब्बती सर्वोच्च न्यायिक आयोग (टीएसजेसी) को अपनीप्रक्रिया,अपने नियम और कानून संहिता, न्यायपालिका संहिता, नागरिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य संहिता बनाने का अधिकार दिया गया है। इसटीएसजेसी का गठन १९९६ में किया गया।
चार्टर में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार हमारे चुनाव आयोग, लोक सेवा आयोग और महालेखा परीक्षक के कार्यालय के कामकाजको नियंत्रित करने वाले अतिरिक्त नियम विकसित किए गए थे। इसी प्रकारकशाग ने भी प्रशासनिक नियमों और विनियमों की एक शृंखला स्थापित की है। समय की बदलती जरूरतों के अनुरूप इन नियमों और विनियमों में लगातार संशोधन किए जा रहे हैं। इसके अलावाचार्टर के अनुच्छेद-८२ में स्थानीय तिब्बती विधानसभाओं को स्थानीय गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले अपने स्वयं के नियम और कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। इसके अनुसार, सभी३९ स्थानीय तिब्बती विधानसभाओं ने अपने संबंधित नियम और कानून बनाए हैं।
इन नियमों और विनियमों ने प्रशासन और इसके वित्तीय प्रबंधन, गणमान्य व्यक्तियों और सिविल नौकरशाहों के अधिकारों के साथ ही जनता के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए एक मजबूत कानूनी आधार स्थापित किया है। इन विनियमों ने न केवल हमारे लोकतांत्रिक शासन के सभी पहलुओं की प्रभावशीलता को बढ़ाया है,बल्कि हमारे लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता की भी रक्षा की है।
१९९२ में प्रवर्तित‘इन द गाइडलाइंस फॉर फ़यूचर तिब्बत्स पोलिटी एंड बेसिक फीचर्स ऑफ इट्स कांस्टीट्रयूशन (तिब्बत की भावी राजनीति और उसके संविधान की बुनियादी विशेषताओं के लिए दिशानिर्देश)’में परम पावन दलाई लामा ने कहा है कि मैंने अपना मन बना लिया है कि मैं तिब्बत की भविष्य की सरकार में कोई भूमिका नहीं निभाऊंगा। इसलिए सरकार में अकेले दलाई लामा की पारंपरिक राजनीतिक स्थिति के विकल्प की तलाश करें।‘ परिणामस्वरूप, २०११ में परम पावन ने अपने सभी राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकार निर्वाचित नेतृत्व को सौंप दिए।
पिछले साल लोकतंत्र दिवस पर कशाग ने एक चार्टर समीक्षा समिति गठित करने की अपील की थी। इसके परिणामस्वरूप आखिरकार संसद नेचार्टर समीक्षा समिति गठित कर दी। नवगठित चार्टर समीक्षा समितिने अपना काम शुरू भी कर दिया है। हम, कशाग ने भी अपने प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिए हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि समिति और संसद दोनों सीटीए के नौकरशाहोंसहित आम तिब्बती नागरिकों से बड़ी संख्या में प्राप्त अंतर्दृष्टि और राय पर उचित विचार करेंगे।
कशाग का मानना है कि कानून का शासन समता और न्याय की गारंटी की नींव पर खड़ा है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों का मूर्त रूप है। हममें से जो लोग,सर्वोच्चशक्ति जनता के हाथों में होने के लोकतांत्रिक सिद्धांत में विश्वास करते हैं, उनके लिए राष्ट्र की प्रगति का पथ उसके नागरिकों की सक्रिय भागीदारी पर निर्भर करता है। सीटीए के मौलिक उद्देश्यों और सार्वजनिक नीतियों को आकार देने और लागू करने में यही सिद्धांत काम करता है। भले ही हमने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, तिब्बत में स्वतंत्रता की हमारी आकांक्षा अभी भी अधूरी है। इसलिए, कशाग चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होने की हमारी अपील को दोहराना चाहेगा।
इस अवसर पर हम तिब्बत और उसके लोगों के उचित हित के निमित्त आपके अटूट समर्थन को लेकर आपके प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता और सराहना व्यक्त करना चाहते हैं। हम अपने साथ आपकी निरंतर एकजुटता और मित्रता की आशा करते हैं।
अंत में, हम परम पावन महान चौदहवें दलाई लामा के दीर्घायुऔर परम पावन के प्रयासों के निरंतर फलने-फूलने और उनकी सभी महान आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।