यह कदम उस आदेश के अनुरूप है, जिसके तहत लोकसेवकों को निर्वासित आध्यात्मिक नेता के साथ संबंध तोड़ना आवश्यक तय किया गया है।
rfa.org / संग्याल कुंचोक
निर्वासन में रह रहे तिब्बती सूत्रों ने रेडियो फ्री एशिया को बताया कि तिब्बत में चीनी अधिकारी बेतरतीब ढंग से मठों की तलाशी ले रहे हैं और भिक्षुओं को तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे प्रमुख आध्यात्मिक नेता ‘अलगाववादी’ दलाई लामा से सभी संबंध त्यागने वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
दलाई लामा को चीनी नेताओं द्वारा व्यापक रूप से तिब्बत को विभाजित करने के अलगाववादी इरादे के रूप में माना जाता है। तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र था, जिस पर १९५० में बीजिंग ने बलपूर्वक आक्रमण किया और चीन में शामिल कर लिया था।
अब भारत में निर्वासन में रह रहे दलाई लामा केवल इतना कहते हैं कि वह चीन के एक हिस्से के रूप में तिब्बत के लिए अधिक स्वायत्तता चाहते हैं, जिसमें तिब्बत की भाषा, संस्कृति और धर्म की सुरक्षा की गारंटी हो।
आरएफए ने पिछले साल रिपोर्ट दी थी कि चीन ने आधिकारिक सरकारी पदों पर काम करने वाले तिब्बतियों को नौकरी पाने की शर्त के रूप में दलाई लामा से सभी संबंधों को त्यागने की आवश्यकता बताना शुरू कर दिया है। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी मठों पर भी इस नियम को लागू कर रहे हैं।
निर्वासन में रह रहे एक तिब्बती ने सुरक्षा कारणों से नाम न छापने का अनुरोध करते हुए आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया कि इस महीने की शुरुआत में चीनी अधिकारियों ने सुरक्षा बनाए रखने के आधार पर शेंछा (चीनी भाषा में शेनझा) और सोक (सुओ) काउंटियों में मठों की तलाशी ली।
निर्वासित तिब्बती ने कहा, ‘अधिकारी भिक्षुओं के सभी आवासों और मठों के मुख्य मंदिरों की तलाशी ले रहे हैं। शरछा मठ के भिक्षुओं को भी परम पावन दलाई लामा के साथ संबंध त्यागने और दलाई लामा विरोधी समूहों का हिस्सा बनने के लिए मजबूर किया जाता है।‘
आरएफए को तिब्बत से प्राप्त एक तस्वीर में शरछा के भिक्षु दीवार पर लगे एक बोर्ड पर हस्ताक्षर करते नजर आ रहे हैं। बोर्ड पर लिखा गया है कि ‘हम दलाई लामा गुट के विरोध में सख्ती से भाग लेंगे और देश (चीन) के प्रति वफादार और समर्पित रहेंगे। ‘एक अन्य निर्वासित तिब्बती ने नाम बताने से इनकार करते हुए कहा, ‘अपनी तलाशी अभियान में अधिकारी भिक्षुओं की प्रार्थना पांडुलिपियों और पुस्तकों की जांच कर रहे हैं और मंदिरों से प्रार्थना झंडे हटा रहे हैं।‘दूसरे निर्वासित ने कहा, ‘उन्होंने इन औचक तलाशी शुरू करने से पहले किसी भी प्रकार की चेतावनी नहीं दी।‘ इन मठों में भिक्षुओं को एक बैठक के लिए बुलाया गया जहां उन्हें दलाई लामा और अलगाववाद को त्यागने वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।