प्रतिनिधि डॉ.आर्य त्सेवांग ग्याल्पो तिब्बत की परिस्थिति का रिपोर्ट सोपते हुए
tibet.net
२६ अगस्त २०२१
टोक्यो। जापान में तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि डॉ. आर्य त्सेवांग ग्याल्पो ने २६ अगस्त को जापानी संसद भवन के हाउस ऑफ काउंसिलर्स में जापानी संसदीय समूहों द्वारा आयोजित सुनवाई के दौरान तिब्बत की वर्तमान स्थिति पर नौ पृष्ठों की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
तिब्बत, उग्यूर, दक्षिणी मंगोलिया, हांगकांग और चीनी लोकतंत्र का समर्थन करने वाले जापानी संसदीय समूहों ने आज २६ अगस्त को संसद भवन में सुनवाई का आयोजन किया था। इस दौरान इन क्षेत्रों के उत्पीड़ित लोगों के प्रतिनिधियों ने चीनी कम्युनिस्ट शासन में चल रहे अत्याचारों और अन्याय की बात बताई।
विभिन्न राजनीतिक दलों के लगभग चालीस सांसदों और उनके कर्मचारियों ने सुनवाई में भाग लिया और उपरोक्त क्षेत्रों में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में गहराई से बातें कीं। उग्यूरों को लेकर गठित संसदीय समूह के अध्यक्ष श्री फुरुया केजी ने सुनवाई की शुरुआत करते हुए कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन कहीं भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है और जापानी संसदीय समूह इस मुद्दे पर चीन को चेतावनी देने और उसके खिलाफ बयान जारी करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
तिब्बत के लिए गठित संसदीय समूह के अध्यक्ष श्री शिमामुरा हकुबुन ने तिब्बती मुद्दों और मानवाधिकारों के मुद्दों के लिए मजबूत समर्थन पर बात की। उन्होंने कहा कि परम पावन दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के सिक्योंग ने जापान का दौरा किया है और जापानी संसद को संबोधित किया है। उन्होंने बताया कि तिब्बत मुद्दे का समर्थन करने वाला सबसे बड़ा संसदीय समूह जापान में ही है।
अन्य समूहों के अध्यक्षों और प्रतिनिधियों ने भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों द्वारा मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन पर बात की।
डॉ. आर्य ने सुनवाई में भाग लेने का मौका देने के लिए आयोजकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने नौ पृष्ठों की रिपोर्ट प्रस्तुत की और तिब्बती पठार के तेजी से सैन्यीकरण और तिब्बती मठों और स्कूलों को बंद करने के कारण तिब्बत में गंभीर स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे चीन भारत और भूटान की सीमाओं के पास बस्तियां बसा रहा है और तिब्बतियों को जबरदस्ती इन इलाकों में बसा रहा है।
प्रतिनिधि डॉ. आर्य ने जापानी सांसदों को बताया कि कैसे तिब्बती बच्चों को मठों में प्रवेश से वंचित किया जाता है और उन्हें तथाकथित ‘देशभक्ति-शिक्षा’ के माध्यम से सैन्य प्रशिक्षण और शिक्षा दी जाती है। ‘तिब्बत इज एन ऑक्यूपॉयड कंट्री (तिब्बत एक अधिकृत देश है)’ शीर्षक वाली उनकी नौ पृष्ठों की रिपोर्ट में तिब्बत में चीन द्वारा हाल ही में किए जा रहे अत्याचारों और दमन के चित्र और समाचार भी शामिल हैं।
संसद सदस्यों ने भी अपने विचार साझा किए और चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया। तिब्बत के लिए बने संसदीय समूह के महासचिव श्री नागाओ ताकेशी ने सत्र का संचालन किया और प्रतिभागियों को उनकी रिपोर्ट और विचारों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सुनवाई संसद के शरद सत्र के लिए पूर्वपीठिका है, जहां चीन के मानवाधिकारों के उल्लंघन और धमकाने की रणनीति को मजबूत हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के खिलाफ कठोर बयान दिया जा सकता है।
सुनवाई सत्र के बाद मीडिया ब्रीफिंग हुई, जिसमें डॉ. आर्य और उन क्षेत्रों के लोगों के प्रतिनिधियों ने मीडिया से बातचीत की और मीडिया को अपनी मातृभूमि की वास्तविक स्थिति से अवगत कराया।
‘तिब्बतन कम्युनिटी जापान’ के श्री तेनज़िन कुंगा और ‘स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत’ के श्री त्सेरिंग दोरजी भी प्रतिनिधि आर्य के साथ थे।