नई दिल्ली। निर्वासित तिब्बत सरकार के केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की कशाग (कैबिनेट) और संसद की तीन दिवसीय संयुक्त राजनयिक आउटरीच पहल के तहत यहां कम से कम १७ देशों के राजदूतों या उप राजदूतों के साथ अनेक बैठकें आयोजित की गईं, जिनमें अमेरिका, चेक गणराज्य, लिथुआनिया और ताइवान देश शामिल हैं।
तिब्बती प्रतिनिधिमंडल में सिक्योंग पेन्पा छेरिंग, अध्यक्ष खेनपो सोनम तेनफेल, कलोन नोरज़िन डोल्मा (मंत्री) और निर्वासन में तिब्बती संसद की स्थायी समिति के सदस्य शामिल थे। तिब्बती प्रतिनिधिमंडल में सांसद तेनपा यारफेल, सांसद खेनपो कड़ा न्गोडुप सोनम, सांसद गेशे ल्हारम्पा गोवो लोबसांग फेंडे, सांसद दोरजी छेतेन, सांसद छेरिंग ल्हामो, सांसद गेशे अटोंग रिनचेन ग्यालछेन, सांसद छेरिंग यांगचेन, सांसद फुरपा दोरजी ग्यालधोंग और सांसद लोबसांग थुप्टेन के साथ सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के सचिव कर्मा चोयिंग भी शामिल थे।
इस पहल के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी, यूरोपीय, एशियाई और अन्य देशों समेत करीब १७ देशों के वरिष्ठ राजनयिकों से मुलाकात की।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को तीन समूहों में विभाजित किया गया था। इनमें से हरेक का नेतृत्व सिक्योंग पेन्पा छेरिंग, अध्यक्ष खेनपो सोनम तेनफेल और सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के कलोन नोरज़िन डोल्मा कर रही थीं।
बैठकों के दौरान प्रेस को संबोधित करते हुए अध्यक्ष खेनपो सोनम तेनफेल ने कहा, ‘सीटीए की यह संयुक्त पक्षघरता पहल दुनिया की प्रमुख शक्तियों के शीर्ष राजनयिकों के साथ जुड़ने और तिब्बत मुद्दे के लिए समर्थन हासिल करने में बेहद सफल रही है।‘
इसके अतिरिक्त प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय संसद और भारतीय राजनीतिक दलों के मुख्यालयों का दौरा किया। उन्होंने तिब्बत और तिब्बती लोगों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भारतीय सांसदों से भी मुलाकात की।