तेंजीन ताकला ने कहा कि हाल ही में दलाई लामा के कर्नाटक (मैसूर) स्थित नामड्रोलिंग निंग्मापा मॉनेस्ट्री में शिफ्ट होने को लेकर निकली तमाम खबरें एक अफवाह से ज्यादा कुछ नहीं हैं। 1959 से लेकर आज तक दलाई लामा को हिमाचलवासियों और हिमाचल सरकार से हर समय सहयोग एवं सम्मान मिला है। ऐसे में वह इस स्थान को छोड़ने का फैसला क्यों करेंगे?
उन्होंने कहा कि दलाई लामा पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं एवं मकलोडगंज में व्यवस्था उसी तरह की गई है, जिस तरह आध्यात्मिक कक्षाओं के दौरान दुनिया भर में दलाई लामा के अस्थाई तौर पर निवास करने की व्यवस्था की जाती है। वहीं, निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रवक्ता टशी फुंचोक ने भी दलाई लामा के मैसूर जाने को लेकर उठी तमाम अफवाहों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल दलाई लामा का धर्मशाला छोड़कर जाने का कोई भी विचार नहीं है। 79 वर्षीय सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा के धर्मशाला से मैसूर शिफ्ट होने को लेकर कई बार अफवाहें उठती रही हैं। हालांकि समय-समय पर दलाई लामा स्वयं इन अफवाहों का खंडन करते आए हैं।