tibet.net / धर्मशाला। दुनिया भर में तिब्बतियों और तिब्बत के दोस्तों ने तिब्बती शहीदों का सम्मान करने और तिब्बत में भयावह स्थिति के खिलाफ एकजुटता व्यक्त करने के लिए ६४वां तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस मनाया। तिब्बत पर चीन के अवैध कब्जे के विरोध में शुक्रवार १० मार्च को सैकड़ों तिब्बती ब्रसेल्स की सड़कों पर उतर आए। दशकों से चली आ रहे चीनी अत्याचारों के विरोध में तिब्बती शुमन राउंडअबाउट में एकत्रित हुए,जिसे यूरोपीय क्वार्टर के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर यूरोपीय आयोग और परिषद का मुख्यालय भी है। प्रदर्शनकारियों को तिब्बती झंडे, परम पावन दलाई लामा की तस्वीरें, १५७ आत्मदाह करने वाले तिब्बतियों के चित्र, नारों वाले बैनर और राजनीतिक कैदियों के चित्र लिए हुए देखा गया।
बेल्जियम बुद्धिस्ट यूनियन के अध्यक्ष कार्लो लुइक, आईसीटी ब्रसेल्स के कार्लो लुइक, डेविड वैन डेर मेलेन, तिब्बत के सचिव थिनले वांगड्यू के कार्यालय के प्रतिनिधि और ब्रसेल्स में तिब्बती संघों के प्रतिनिधि विशिष्ट अतिथियों में शामिल थे। सचिव थिनले वांगड्यू ने सभा को तिब्बत के राजनीतिक इतिहास में १० मार्च के महत्व के बारे में याद दिलाया। उन्होंने बताया कि १० मार्च ने अतीत के तिब्बतियों और वर्तमान के तिब्बतियों के जीवन को छुआ है। उन्होंने टिप्पणी की, ‘यह दिन तिब्बती लोगों की पीढ़ियों में साहस, लचीलापन और आशा का संचार करता है और तिब्बती मुक्ति साधना को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।‘ सभा में भाषण के बादप्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए चीनी दूतावास की ओर मार्च किया। इस विरोध-प्रदर्शन का सह-आयोजन बेल्जियम के तिब्बती समुदाय, द इंटरनेशनल कैंपेन फॉर तिब्बत और हाइकिंग फार चिल्ड्रेन ने किया था।
फ्रांस की राजधानी पेरिस में लगभग ७५० तिब्बतियों और तिब्बत समर्थकों ने फ्रीडम ग्राउंड से चीनी दूतावास तक शांति-मार्च निकाला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथिजीन ल्यूक रोमेरो मिशेल (एडज्वाइंट ए ला मैरी डे पेरिस) ने मार्च के प्रतिभागियों को संबोधित किया, जहां तिब्बती संघ के सचिव और शिक्षा निदेशक ने सामूहिक रूप से १० मार्च के बड़े आयोजन में फ्रांस के ११० तिब्बती निवासियों की भागीदारी को स्वीकार किया। विरोध- प्रदर्शन यूरोप के सभी तिब्बत समर्थक संघों द्वारा रोम में आयोजित किया गया।
ब्रसेल्स स्थित तिब्बत कार्यालय के निर्देशों के अनुसार, पेरिस में ब्यूरो डु तिब्बत ने भी फ्रांस के अंदर ६७१ क्षेत्रों में तिब्बती राष्ट्रीय झंडे भेजे हैं और उनसे १० मार्च के दौरान झंडे फहराने की अपील की है और कई लोगों ने सहमति भी दी है। एक क्षेत्र ने तिब्बतियों के प्रतिनिधि को भी आमंत्रित किया और १० मार्च तिब्बती जनक्रांति दिवस के स्मरणोत्सव के लिए एक समारोह आयोजित करना सुनिश्चित किया है।
जापान में तिब्बती समुदाय और फ्री तिब्बत जापान चैप्टर के छात्रों ने संयुक्त रूप से तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की ६४वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक शांति मार्च का आयोजन किया। टोक्यो में एक वार्ता समारोह आयोजित किया गया,जिसमें बड़ी संख्या में तिब्बत समर्थकों ने भाग लिया। प्रतिनिधि डॉ आर्य छेवांग ग्यालपो ने प्रतिभागियों को उनके निरंतर समर्थन और इस महत्वपूर्ण आयोजन में शामिल होने के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने जापानी भाषा में कशाग के बयान का सार पढ़ा और सभी प्रतिभागियों को पूरा बयान वितरित किया गया।
प्रतिनिधि आर्य ने ‘तिब्बत नीड्स योर हेल्प (तिब्बत को आपकी सहायता की आवश्यकता है)’शीर्षक पुस्तक का विमोचन एवं वितरण किया। पुस्तक में चीनी आवासीय विद्यालयों में तिब्बती बच्चों को जबरन शिक्षित करने, तिब्बती धार्मिक वस्तुओं को नष्ट करने और १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म सहित प्रमुख तिब्बती लामाओं के पुनर्जन्म के चयन में सीसीपी के हस्तक्षेप के माध्यम से तिब्बती पहचान को मिटाने के लिए चल रही चीनी नीति का विवरण दिया गया है। उन्होंने तिब्बती धार्मिक मामले में सीसीपी के हस्तक्षेप की निंदा करते हुए एक बयान जारी करने के लिए जापानी सांसदों के द्विदलीय सुपर संघ को धन्यवाद दिया। इसके अलावा, उन्होंने जापान के तिब्बत समर्थन समूह और जापान बौद्ध सम्मेलन को उनके बयान के लिए धन्यवाद दिया, जिसमें तिब्बत में चीन द्वारा लगातार दमन और मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की निंदा की गई है। उन्होंने अनुरोध किया कि जापानी संसद, समर्थक समूहऔर गैर सरकारी संगठन बढ़ते चीनी अतिक्रमण और तिब्बती संस्कृति, भाषा और पहचान के उन्मूलन को रोकने के लिए इसी तरह के बयान जारी करें।
स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत (एसएफटी) जापान के छेरिंग दोरजी ने चीनी बोर्डिंग स्कूलों में युवा तिब्बती बच्चों की जबरन शिक्षा पर बात की और तिब्बती बच्चों से उनकी मातृभाषा और पहचान के मौलिक अधिकार को छीनने के लिए सीसीपी की निंदा की। उन्होंने कहा कि एसएफटी आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर काम करेगी ताकि चीन को तिब्बती भाषा के उन्मूलन से रोका जा सके।
तारो कणाडा ने सुपर संघ समूह के बयान को पढ़ा, जहां संघ के सदस्यों ने तिब्बत में चीनी दमन की निंदा की और यह स्पष्ट किया कि सीसीपी को तिब्बती धार्मिक मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें तिब्बति लामाओं के पुनर्जन्म के चयन के अधिकार का दावा करना बंद कर देना चाहिए। लामाओं में १५वें दलाई लामा भी शामिल हैं। सत्य वचन (डेंट्सिग मोनलम) प्रार्थना का जाप और तिब्बती जनक्रांति गीत (मीमांग लांगलू) का गायन वीडियो फुटेज के साथ किया गया।
आधिकारिक वार्ता समारोह के बाद लगभग १०० तिब्बतियों और जापानी, उग्यूर, चीनी और दक्षिण मंगोलियाई समर्थकों ने नारे लगाते हुए और तिब्बती झंडे और तख्तियां लेकर शिबुया शहर की सड़क पर शांति मार्च निकाला। शांति मार्च ने सड़क पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। कुछ जापानी और विदेशी भी विरोध मार्च में शामिल हुए और तिब्बत के लिए अपना समर्थन जताया। शांति मार्च टोक्यो में चीनी दूतावास की ओर बढ़ रहा थाजहां मुक्त तिब्बत, मानवाधिकार और तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता के पक्ष में नारे लगाए गए। दूतावास के लेटर बॉक्स में तिब्बत में चीनी उत्पीड़न तत्काल रोकने से संबंधित बयान और कशाग का बयान डाल दिया गया।
उत्तरी अमेरिका में तिब्बतियों के ३० विभिन्न संघों ने तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की ६४वीं वर्षगांठ पर अमेरिका के सांसदों को आवेदन भेजकर हाल ही में पेश किए गए द्विसदनीय तिब्बत विधेयक जो तिब्बत-चीन संघर्ष अधिनियम (एच.आर. ५३३, एस.१३८) के नाम से पेश हुआ है,को पारित कराने को समर्थन करने की अपील की है।
इसके अलावातिब्बती संघों के नेतृत्व में तिब्बती और समर्थक तिब्बती गैर सरकारी संगठनों के सहयोग सेपरेड, प्रदर्शन, तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज फहराने सहित विभिन्न अभियानों का आयोजन करते रहते हैऔर तिब्बत के अंदर चीन की दमनकारी नीतियों को लागू करने के बारे में श्रोताओं को सूचित करने के लिए तिब्बत मुद्दे की वकालत करते रहते है। सभाओं में कशाग और निर्वासित तिब्बती संसद के बयान भी पढ़े गए। सभाओं को अतिथियों और तिब्बती प्रतिनिधियों ने संबोधित किया। कुल्लू में तिब्बती समुदाय ने सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के तिब्बत संग्रहालय द्वारा आयोजित फोटोग्राफिक प्रदर्शनी की मेजबानी करके इस घटना को याद किया। प्रदर्शनी में तिब्बत के इतिहास और वर्तमान स्थिति को चित्रित करने वाले फोटोग्राफिक आख्यान को दर्शाया गया।
भारत की राजधानी दिल्ली में तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की ६४वीं वर्षगांठ के आधिकारिक स्मरणोत्सव में मुख्य अतिथि श्री संजय सिंह (सांसद, राज्यसभा) और विशिष्ट अतिथि प्रतिनिधि लोबसांग शास्त्री (परम पावन दलाई लामा के दिल्ली ब्यूरो) और श्री प्रह्लाद सिंह साहनी (विधायक) उपस्थित थे। टीसीवी डे स्कूल समयेलिंग में सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने चीन जैसे खतरे को चुनौती देने के लिए अहिंसा को सबसे शक्तिशाली हथियार के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने बुद्ध शाक्यमुनि और परम पावन दलाई लामा को अहिंसा के पैरोकारों के रूप में मान्यता दी। सभा ने तिब्बती शहीदों की याद में एक मिनट का मौन रखा। इसी तरह मुंडगोड तिब्बती सेटलमेंट कार्यालय के नेतृत्व में तिब्बतियों ने तिब्बती जनक्रांति दिवस की ६४वीं वर्षगांठ पर आधिकारिक समारोह आयोजित किया।
इस में तिब्बती सांसद, स्थानीय तिब्बती विधानसभा के अध्यक्ष, सेटलमेंट अधिकारी, स्थानीय तिब्बती विधानसभा के सदस्य, तिब्बती मुक्ति साधना के अध्यक्ष और कार्यकारी समिति के सदस्य, तिब्बती सहकारी समिति के अध्यक्ष और सचिव, स्कूलों के प्रमुख, शिक्षण और गैर शिक्षण कर्मचारी, तिब्बती एलोपैथी और होम्योपैथी केंद्रों के प्रमुख और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
समारोह की शुरुआत वरिष्ठ स्कूल बैंड द्वारा जनक्रांति दिवस गीत के गायन के साथ हुई।इसके बाद भारतीय और तिब्बती राष्ट्रगान हुआ।तिब्बती शहीदों के लिए एक मिनट का मौन रखा गया और इसके बाद संभूता स्कूल के छात्रों द्वारा प्रार्थना की गई। सेटलमेंट अधिकारी ल्हाकपा डोल्मा ने कशाग का बयान पढ़ा, उसके बाद तिब्बती सांसद गेशे ल्हारम्पा अट्रुक छेतेन ने संसद का बयान पढ़ा।
समारोह का समापन तिब्बती समुदाय की सामूहिक प्रार्थना के साथ हुआ। १० मार्च २०२३ की शाम लगभग ०६ बजे तिब्बती यूथ हॉस्टल हॉल में माननीय मुख्य अतिथि डॉ. मदन कृष्ण गोपाल द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ समापन कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
मुख्य अतिथि द्वारा घी के दीपक की रोशनी के साथ कार्यक्रम हुआ और उसके बाद तिब्बती और भारतीय राष्ट्रगान गाया गया। इसके बादतिब्बती शहीदों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए एक मिनट का मौन रखा गया, जिन्होंने अपने राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। फिर सभी लोगों ने सर्वसम्मति से १० मार्च का स्मरणोत्सव गीत गाया और सीआरओ जिग्मे सुल्त्रिम ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और कशाग का वक्तव्य पढ़ा। क्षेत्रीय तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन के उपाध्यक्ष ने निर्वासित तिब्बती संसद का वक्तव्य पढ़ा। इसके तुरंत बादमुख्य अतिथि श्री मदन कृष्ण गोपाल जी ने अपने बहुमूल्य विचारों और दर्शनों से सभा को संबोधित किया है। कार्यक्रम का समापन तिब्बती यूथ हॉस्टल, बेंगलुरु के निदेशक द्वारा सत्य वचनों की प्रार्थना और धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की ६४वीं वर्षगांठ पर ग्रीनविच के रॉयल बरो के मेयर, पार्षद लियो फ्लेचर और ग्रीनविच के रॉयल बरो के नेता, पार्षद एंथनी ओकेरेके ने दक्षिण-पूर्वी लंदन स्थित ग्रीनविच रॉयल बरो के मुख्यालय वूलविच टाउन हॉल में तिब्बत का झंडा फहराकर तिब्बत के साथ अपनी एकजुटता दिखाई। लंदन में बरो के महापौर और नेता ने तिब्बती संघर्ष को मुक्ति और स्वतंत्रता के संघर्ष के रूप में वर्णित किया और बरो में रहने वाले तिब्बती समुदाय के लिए अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने आगे भी इस दिन को स्थायी रूप से मनाने के लिए परिषद में इसके लिए प्रस्ताव पारित कराने का वादा किया। परम पावन दलाई लामा के उत्तरी यूरोप, बाल्टिक देशों और पोलैंड के लिए प्रतिनिधि के लंदन स्थित तिब्बत कार्यालय के कर्मचारी तेनज़िन ज़ेधन ने कार्यालय की ओर से कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने महापौर और नेता को इस महत्वपूर्ण समय में उनके निरंतर समर्थन और तिब्बतियों के साथ एकजुटता में खड़े होने के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही उन्हें तिब्बत में बिगड़ती मानवाधिकार स्थिति से भी अवगत कराया। ज़ेधन द्वारा महापौर और नेता को मित्रता और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज पिन बैज प्रदान किया गया। महापौर ने फिर सभी को रॉयल बरो ऑफ ग्रीनविच पिन बैज उपहार में दिया।
इस कार्यक्रम में तिब्बती समुदाय के सदस्य, ग्रीनविच तिब्बतन एसोसिएशन के परिषद सदस्य, ब्रिटेन में तिब्बती समुदाय के अध्यक्ष तेनज़िन कुंगा और ग्लोबल एलायंस फॉर तिब्बत एंड पर्सेक्यूटेड माइनोरिटीज (तिब्बत और सताए गए अल्पसंख्यकों के लिए वैश्विक गठबंधन)के संस्थापक और अध्यक्षछे रिंग पासांग शामिल हुए, जिन्होंने एसोसिएशन की ओर से तिब्बती झ्ंडोत्तोलन समारोह का समन्वय किया। ग्रीनविच तिब्बतन एसोसिएशन ने महापौर और नेता को पारंपरिक तिब्बती सफेद खटक भेंट कर महापौर कार्यालय को धन्यवाद दिया। सितंबर २०१५ में रॉयल बरो ऑफ ग्रीनविच के ओ२ सेंटर में परम पावन दलाई लामा के सम्मान और स्वागत करने के क्रम में तिब्बती ध्वज पहली बार इस इंग्लिश टाउन हॉल में फहराया गया था।
ताइवान की राजधानी ताइपे के लिबर्टी स्क्वायर में एक प्रार्थना सभा और कैंडललाइट विजिल (मोमबत्ती जुलूस) का आयोजन किया गया। वहां तिब्बत के लिए ताइवानी संसदीय समूह के उप महानिदेशक हंग सन-हान,हक्का मामलों की परिषद के मंत्री यियोंग कैज़िन, न्यू पावर पार्टी से ताइवान के जनप्रतिनिधि वांग वांग यू, हांगकांग यूथ एसोसिएशन के प्रतिनिधि स्काईऔर ताइवान के गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि सन यू लियान ने अपनी एकजुटता व्यक्त करने के लिए स्मरणोत्सव में भाग लिया।
किसी तरह की कोई गलतफहमी पैदा न हो,इसलिए ताइवान में तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि केलसांग ग्यालत्सेन बावा ने अपने संबोधन में जोर देकर स्पष्ट किया कि ‘तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस का स्मरणोत्सव तिब्बत की स्वतंत्रता की मांग नहीं करता है, बल्कि यह हर उस तिब्बती को सांकेतिक तौर पर श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया जाता है,जिन्होंने बलिदान दिया है और तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद से अब तक तिब्बत के मुद्दे के लिए कष्ट सहते आ रहे हैं। ताइवान में तिब्बती एसोसिएशन के अध्यक्ष ताशी छेरिंग और ताइवान में एनजीओ के प्रमुख लिन सीनयी द्वारा इस कार्यक्रम की व्यवस्था की गई और इसे संभव बनाया गया।
हर एक वर्ष के अंतराल पर यूरोप के तिब्बती समुदाय यूरोप के शहरों में से किसी एक में ‘यूरोप स्टेंड विद तिब्बत (यूरोप तिब्बत के साथ है)’कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इस वर्षपूरे यूरोप के तिब्बतियों और यूरोपीय लोगों ने १० मार्च २०२३ को इटली की राजधानी रोम में ६४वें तिब्बत राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस को ‘यूरोप स्टेंड्स विद तिब्बत’कार्यक्रम के हिस्से के रूप में मनाया। अगला समारोह २०२५ में नीदरलैंड के एम्स्टर्डममें आयोजित किया जाएगा।
प्रदर्शन का आयोजन इटली के तिब्बती समुदाय द्वारा यूरोप में अन्य तिब्बती समुदायों- इटालिया-तिब्बत संघ, बुदि्धस्ट यूनियन ऑफ इटली, इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत- जर्मनी एंड यूरोप और स्विस-तिब्बतन फ्रेंडशिप एसोसिएशन के समर्थन से किया गया था। कई अन्य तिब्बत समर्थक समूहों ने भी इस आयोजन के लिए अपना समर्थन दिया। प्रदर्शन लार्गो कोराडो रिक्की से शुरू हुआ और बाद में पियाज़ा डेला मैडोना डी लोरेटो में इकट्ठा हुआ। पूरे यूरोप से हजारों हजार तिब्बती और यूरोपीय प्रदर्शन में शामिल हुए।
प्रदर्शन में मुख्य अतिथि निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष तेखंग डोल्मा छेरिंग, तिब्बत ब्यूरो जिनेवा के प्रतिनिधि थिनले चुक्की , यूरोप से निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य थुप्टेन ग्यात्सो, फ्रांसीसी सीनेटर सुश्री एल्स जोसेफ, इतालवी सीनेटर एंड्रिया डी प्रिमो और इतालवी सांसद इलेनियो मालवसी के अलावा इटली में तिब्बत समर्थक समूहों के कई अन्य प्रतिनिधियों ने सभा को संबोधित किया।
सभा को संबोधित करती हुई उपाध्यक्ष तेखंग डोल्मा छेरिंग ने १९५९ से तिब्बतियों पर शुरू हुए अत्याचारों और कष्टों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तिब्बत पर कब्जे के बाद से ६००० से अधिक मठ नष्ट कर दिए गए हैं और अनेक तिब्बती मारे गए हैं। उन्होंने कहा, ‘चीन दुनिया को दिखा रहा है कि तिब्बत में सब ठीक है तो तिब्बत में तिब्बती खुद को क्यों जला रहे हैं।‘तिब्बत में १५८ तिब्बतियों ने आत्मदाह कर लिया है। अब उनका डीएनए नमूना संग्रह के माध्यम से व्यापक निगरानी की जा रही है। उन्होंने दुनिया से तिब्बत के पक्ष में खड़े होने का आह्वान किया।
प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने तिब्बत के पक्ष में खड़े होने के लिए सभी समर्थकों के प्रति आभार व्यक्त किया और सरकारों से तिब्बत का समर्थन करने का आह्वान किया। फ्रांसीसी सीनेटर सुश्री एल्स जोसेफ ने तिब्बती मुद्दे के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया और कहा कि तिब्बत के लिए फ्रांसीसी संसदीय समूह तिब्बती आंदोलन का समर्थन करना जारी रखेगा। इतालियन पॉर्लियामेंटरी इंटरग्रुप फॉर तिब्बत की समन्वयक एंड्रिया डी प्रामो ने कहा कि नवगठित इंटरग्रुप तिब्बत पर अपना समर्थन कार्य जारी रखेगा और तिब्बत के समर्थन में प्रस्ताव पारित करने की दिशा में काम करेगा। इसी तरह इटली की सांसद इलेनियो मालवसी ने भी तिब्बत के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। इटालिया तिब्बत एसोसिएशन के अध्यक्ष क्लाउडियो कार्डेली, इतिहासकार और अंतरराष्ट्रीय वकीलमाइकल वैन वॉल्ट वैन प्राग, पूर्व इतालवी सांसद माननीय लुसियानो नोबिली, इतालवी बौद्ध संघ के अध्यक्ष फ़िलिपो सिआना और इंस्टीट्यूटो लामा छोंगखापा श्री वैलेरियो तालारियो ने भी सभा को संबोधित किया।