tibet.net 1 फरवरी 2013
भारत के पूर्व विदेश मंत्री श्री जसवंत सिंह ने लोगों को संबोधित किया
नर्इ दिल्ली, 1 फरवरी। जंतर मंतर पर शुक्रवार को तिब्बतियों की दिन भर चली प्रार्थना सभा का नेतृत्व परम प्रतिष्ठित गादेन त्रि रिनपोछे ने किया। श्री रिनपोछे बौद्ध धर्म की गेलुगपा परंपरा के 102 वें ताज धारक हैं और भारतीय मूल के ऐसे पहले तिब्बती हैं।
इस अवसर पर कीर्ति मठ (जहां वर्ष 2009 से अब तक 30 से ज्यादा आत्मदाह की घटनाएं हुर्इ हैं) के प्रमुख लामा परम प्रतिष्ठित कीर्ति रिनपोछे और सिक्योंग, संसद अध्यक्ष, विभिन्न कालोन, सांसदों सहित कर्इ तिब्बती नेता भी मौजूद थे। इस जनसभा में 6,000 से ज्यादा तिब्बतियों ने हिस्सा लिया जिनमें ज्यादातर मठ समुदाय से थे।
इस अभियान के अलावा पिछले तीन दिन में निर्वासित तिब्बती संसद के मंत्री और सदस्य भारत स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों और 20 देशों के राजनयिकों से मिले हैं। धार्मिक मामलों के कालोन पेमा छोजोर, स्वास्थ्य कोलोन सेरिंग वांगचुक, पूर्व कालोन और टीपीआर्इ के मौजूदा सदस्य थुपटेन लुंगरिक के नेतृत्व वाले इस प्रतिनिधिमंडल ने इन अधिकारियों और राजनयिकों से अनुरोध किया कि वे चीन से यह कहें कि वह :
• मीडिया, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय तथ्यान्वेशी दलों को तिब्बत में बिना किसी रोक टोक के जाने दे ताकि आत्मदाहों की असल वजहों का पता लगाया जा सके और इसके बारे में रिपोर्ट तैयार किया जा सके,
• तिब्बती की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए वहां विभिन्न सरकारी, संसदीय और राजनयिक प्रतिनिधिमंडलों को जाने की इजाजत दे,
• तिब्बत में अपनी विफल कठोर नीतियों की समीक्षा करे और संवाद के माध्यम से तिब्बत मसले का समाधान करते हुए तिब्बती जनता की वाजिब शिकायतों को दूर करे।
सभी राजनयिकों ने तिब्बत मसले पर समर्थन देने का भरोसा दिया और कहा कि वे तिब्बत के इस गंभीर मसले को अपनी चीनी समकक्षों के सामने उठाएंगे।
भारत के पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह भी अपने समर्थकों के साथ शुक्रवार को जंतर मंतर पर तिब्बतियों की सभा में पहुंचे। तिब्बतियों की इतनी विशाल संख्या को देखकर उन्होंने खुशी जाहिर की और ‘तिब्बत मसले का जल्दी ही कोर्इ समाधान निकालने के लिए’ अपने समर्थन का भरोसा दिया।
दोपहर में टीसीवी गोपालपुर के विधार्थियों ने तिब्बत के मौजूदा हालात का चित्रण करते हुए आधे घंटे के एक नाटक का मंचन किया। तिब्बत के मौजूदा गंभीर सिथति के इस मर्मस्पर्शी चित्रण: तिब्बती पहचान के शांतिपूर्ण अभिव्यकित पर कठोर पाबंदी, को देखकर दर्शकों की आंखों में आंसू आ गए।
प.प्र. कीर्ति रिनपोछे ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि ‘तिब्बत के भीतर की मौजूदा गंभीर सिथति तिब्बत में चीन की विफल नीतियों का परिणाम है’ और उन्होंने कहा कि ‘तिब्बत में भारी राजनीतिक दमन और किसी तरह की आज़ादी के न रहने से तिब्बती आत्मदाह करने को मजबूर हो रहे हैं।’
उन्होंने यह भी कहा कि ‘चीन के पास यदि इस बात के कोर्इ प्रमाण हैं कि आत्मदाहों में कथित रूप से तिब्बत के बाहर रहने वाले तिब्बतियों का कोर्इ हाथ है तो वह इसे दुनिया के सामने रखे।’
अंत में प.प्र. गादेन त्रि रिनपोछे ने उपसिथत लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘तिब्बत के भीतर चल रहे आत्मदाह विरोध प्रदर्शन अहिंसा के सिद्धांतों के अनुरूप ही हैं।’ उन्होंने ‘तिब्बत के गंभीर हालात के बारे में गहरी पीड़ा जतार्इ।’
गौरतलब है कि जंतर मंतर पर चल रहे एकजुटता अभियान में जुटे हुए 6,000 तिब्बती लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, सिकिकम, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, नेपाल, भूटान और दुनिया के कर्इ देशों में रहने वाले प्रवासी तिब्बती समुदाय से आए हैं। ये लोग स्वेच्छा से और अपने खर्च पर दिल्ली आए हैं।
चार दिन के तिब्बती एकजुटता अभियान (30 जनवरी से 2 फरवरी) का समापन शनिवार को होगा। शनिवार को इस अभियान के लिए जुटे लोगों को ‘तिब्बत पर भारतीय सांसदों की सर्वदलीय सभा’ का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के पूर्व विदेश मंत्री माननीय यशवंत सिन्हा संबोधित करेंगे। उनके साथ भारतीय संसद के कर्इ अन्य माननीय सदस्य और सिविल सोसाइटी के कर्इ प्रमुख वक्ता भी सभा मे शामिल होंगे जिनमें श्री राम जेठमलानी (सांसद), श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी (सांसद), श्री जयंत चौधरी (सांसद), श्री जे.पी. अग्रवाल (सांसद) और कर्इ अन्य प्रमुख नेता होंगे।