भक्ति दिखाने को कहा दलाई लामा द्वारा चुने गए पंचेन लामा के विरूद्ध बीजिंग द्वारा ग्यालत्सेन नोरबू को १९९५ में चुना गया जिसके प्रति श्रद्धा प्रकट करने को कहा गया था। नोरबू एक युवा लड़के थे, जो अपने परिवार के साथ चीनी हिरासत में गायब हो गए
rfa.org, २०२१-०७-२६
इस महीने सिचुआन में एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन द्वारा भेजे गए एक तिब्बती बौद्ध नेता को आम तिब्बतियों द्वारा उस समय नजरअंदाज कर दिया गया, जब उन्हें अधिकारियों द्वारा उस बौद्ध नेता का अभिवादन करने के लिए कहा गया। तिब्बती सूत्र कहा कि उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए केवल कुछ गिने- चुने अधिकारी ही मौजूद थे।
आरएफए द्वारा क्षेत्र के अंदर से ही प्राप्त एक टेक्स्ट संदेश के अनुसार, १९९५ में चीन द्वारा तिब्बत के पंचेन लामा के रूप में चुने गए ग्यालत्सेन नोरबू-क्षेत्र के भीतर से १२ जुलाई को एक धार्मिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए सिचुआन प्रांत के कर्जे (गांज़ी) तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर गए थे।
आरएफए के सूत्र ने कहा, ‘उन्हें नगाबा बरखम, ज़ोएगे और खुंगचु की यात्रा करते हुए भी देखा गया था, जहाँ तिब्बतियों को आने और उनका अभिवादन करने के लिए कहा गया था। लेकिन जहां अन्य धार्मिक हस्तियों के आने पर तिब्बती उनका जोरदार सम्मान करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लाइन लगा देते हैं, वहीं ठीक इसके विपरीत इस कार्यक्रम में कोई भी तिब्बती उनका स्वागत करने के लिए नहीं आया।’
सूत्र ने कहा, ‘केवल वही लोग उनसे मिलने आए, जिनकी उपस्थिति की व्यवस्था चीनियों द्वारा विशेष रूप से की गई थी।’
सूत्र ने कहा कि जिन क्षेत्रों में भिक्षु का दौरा हुआ वहां के स्थानीय तिब्बतियों द्वारा ‘चीनी पंचेन लामा’ कह कर उनका व्यापक तौर पर उपहास उड़ाया गया। उन क्षेत्रों के निवासियों के आवागमन पर अधिकारियों ने प्रतिबंध लगा दिया और लोगों को सड़कों को कारों से मुक्त रखने के लिए कहा गया था।
आरएफए से बात करते हुए एक पूर्व तिब्बती राजनीतिक कैदी शेल गेधुन त्सेरिंग, जो अब ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हैं, ने दौरा किए गए क्षेत्रों के सूत्रों के हवाले से पंचेन के क्षेत्र के दौरे की पुष्टि की।
त्सेरिंग ने कहा, ‘घर वापस आने वाले संपर्क के लोगों ने मुझे बताया कि क्षेत्र के मठों में महंतों और धार्मिक हस्तियों को पंचेन लामा की अगवानी करने और उनका अभिवादन करने के लिए मजबूर किया गया था। साथ ही उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने का भी आदेश दिया गया था।’
भारत स्थित तिब्बती मानवाधिकार और लोकतंत्र केंद्र, धर्मशाला के निदेशक त्सेरिंग त्सोमो ने कहा कि चीनी सरकार अब अक्सर राजनीतिक प्रचार और प्रसार उद्देश्यों के लिए तिब्बती धार्मिक हस्तियों का उपयोग करती है।
त्सोमो ने कहा, ‘इन यात्राओं को चीनी सरकार की प्रत्यक्ष निगरानी में कोरियोग्राफ किया जाता है, और नोरबू जो कुछ भी कहते हैं या करते हैं उसका उद्देश्य केवल चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाना है। वह केवल एक प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हैं।’
चीनी हिरासत में गायब
ग्यालत्सेन (चीनी :, ग्यानकेन) नोरबू को मई १९९५ में चीन द्वारा पंचेन लामा के रूप में नामित किया गया था। उन्हें तिब्बत के निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा द्वारा चुने गए एक बालक के विरोध में चुना गया। दलाई लामा द्वारा चुने गए बालक को उनके परिवार के साथ चीनी हिरासत में गायब कर दिया गया।
तिब्बती परंपरा यह मानती है कि वरिष्ठ बौद्ध भिक्षु और अन्य सम्मानित धार्मिक नेता इस शरीर को छोड़ने के बाद एक बच्चे के शरीर में पुनर्जन्म लेते हैं।
चीनी अधिकारियों को अपने चुने पंचेन लामा को चीन में तिब्बती बौद्ध धर्म के आधिकारिक चेहरे के रूप में स्वीकार करने के लिए तिब्बतियों को राजी करने में कठिनाई हो रही है। हालांकि, आम तिब्बती और मठों के भिक्षु पारंपरिक रूप से दलाई लामा के प्रति वफादार रहे हैं, लेकिन चीनी पंचेन लामा को स्वीकार करने या उनकी अगवानी करने को लेकर वह भी अनिच्छुक दिखाई दे रहे हैं।
बीजिंग ने हाल के वर्षों में अन्य तिब्बती धार्मिक नेताओं की पहचान को नियंत्रित करने का अभियान चलाया है। उसका कहना है कि अगले दलाई लामा का चयन चीनी कानून के तहत ही किया जाएगा। वर्तमान दलाई लामा चीनी शासन के खिलाफ १९५९ के असफल तिब्बती विद्रोह के बाद भारत में निर्वासन में रह रहे है।
हालांकि, दलाई लामा खुद कहते हैं कि अगर वे पुनर्जन्म लेते हैं, तो उनके उत्तराधिकारी का जन्म चीनी नियंत्रण से बाहर के देश में ही होगा।
आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए संग्याल कुंचोक द्वारा रिपोर्ट की गई। अनुवाद- तेनज़िन डिकी। अंग्रेजी में लेखन- रिचर्ड फिनी।