तिब्बतनरिव्यू.नेट, 17 जनवरी 2019
ऐसा लगता है कि धर्म के चीनीकरण अभियान ने पूर्वी तिब्बत में एक विचित्र मोड़ ले लिया है। वहां लोगों को बौद्ध धर्म से जुड़े देवी-देवताओं की मूर्तियों को हटाकर उनकी जगह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अन्य चीनी नास्तिक नेताओं की मूर्तियों की पूजा करने और रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यहां तक कहा गया है कि प्राचीन चीन के सम्राट भी जनादेश का स्वर्गिक आनंद ले रहे हैं। उनकी भी केवल बंदगी किए जाने की बात की जा रही है न कि देवताओं की तरह पूजा करने की।
रिपोर्ट में पूर्व तिब्बती राजनीतिक कैदी गोलोक जिग्मे जो अब निर्वासन में हैं, को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि सिचुआन प्रांत के सेर्ता (चीनी: सेडा) काउंटी में सरकार से ‘गरीबी उन्मूलन’ कार्यक्रम के तहत सब्सिडी प्राप्त करने वाले तिब्बतियों को दलाई लामा की छवियों को उनके घरों से हटाने और उनकी वेदियों को नष्ट करने का आदेश दिया गया था।
वाशिंगटन स्थित इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत (आईसीटी) ने एक भिक्षु को यह कहते हुए उद्धृत किया कि कुछ परिवारों को अपने घरों में चीन के नेता शी जिनपिंग की फोटो को लगाने और उनकी पूजा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
आईसीटी ने एक अन्य सूत्र का हवाला देते हुए कहा कि सिचुआन प्रांत के हिस्से में बसी बस्तियों में तिब्बतियों को प्रदान किए गए नए आवास पहले ही छोटे वेदियों से सुसज्जित थे, जिनमें बौद्ध मृर्तियों के बजाय चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं की तस्वीरें हैं।
आईसीटी ने एक और तिब्बती स्रोत, जिसके बारे में कहा गया था कि उसने पूर्वी तिब्बत में व्यापक रूप से यात्रा की है, हवाला देते हुए कहा है कि क्योंकि कुछ गरीब परिवारों ने अपने घरों में चीनी पार्टी के नेताओं की तस्वीरों को प्रदर्शित किया है नहीं तो सरकार उनकी सब्सिडी में कटौती कर सकती थी।