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धर्मशाला। तिब्बत संग्रहालय के निदेशक ताशी फुंट्सोक ने २० अक्तूबर २०२१ को अंतरराष्ट्रीय प्रवासन और मानवाधिकार ऑनलाइन फोरम (इंटरनेशनल माइग्रेशन एंड ह्यूमन राइट्स ऑनलाइन फोरम) में भाग लिया। ऑनलाइन फोरम का आयोजन राष्ट्रीय मानवाधिकार संग्रहालय ताइवान, फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स म्यूजियम एशिया पैसिफिक और इंटरनेशनल कोएलिशन ऑफ साइट्स ऑफ कॉनसाइंस द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
पैनलिस्टों में से एक श्री ताशी को ‘ट्रांसनेशनल माइग्रेंट्स: इंक्लूसिविटी एंड एक्सक्लूसिविटी इन इमिग्रेशन हिस्ट्रीज़’ विषय पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया। श्री ताशी ने भारत और नेपाल में तिब्बती शरणार्थियों की स्थिति पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने तिब्बत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, चीन के कब्जे और बाद में परम पावन दलाई लामा और तिब्बतियों के भारत, नेपाल और भूटान में पलायन, हाल के पलायन के रुझान और भारत और नेपाल में तिब्बती शरणार्थियों की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने शरणार्थी कार्ड और निवास अधिकार, शिक्षा और रोजगार की स्थिति और तिब्बती संस्कृति और राजनीतिक अधिकारों के दमन में नेपाल में तिब्बतियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने नए चीन-नेपाल समझौते २०१९ के संभावित परिणाम पर ध्यान दिलाकर सत्र का समापन किया कि यदि इस समझौते को लागू किया जाता है तो हजारों तिब्बतियों को वापस तिब्बत भेज दिया जाएगा।
पैनल के अन्य वक्ताओं में नेशनल म्यूज़ियम ऑफ़ इमिग्रेशन हिस्ट्री, फ़्रांस के नेटवर्क एंड पार्टनरशिप्स डिपार्टमेंट के प्रमुख एग्नेस आर्केज़ रोथ; अमेरिका के एंजेल आइलैंड इमिग्रेशन स्टेशन के निदेशक एड. टेपपोर्न और नेशनल म्यूजियम ऑफ ताइवान हिस्ट्री, ताइवान के पब्लिक सर्विस एंड एजूकेशन डिवीजन के एसोसिएट क्यूरेटर और लीडर चिया-नी वू शामिल थे।