धर्मशाला।। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने शनिवार को कहा कि चीन ने तिब्बत के स्कूलों में मंदारिन भाषा को पढ़ाई का माध्यम लागू कर दिया है, जिसके चलते वहां विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की वेबसाइट पर जारी बयान के अनुसार नोबेल पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने जापान में संवाददाताओं से कहा कि तिब्बती बहुत ही समृद्ध भाषा है। उसकी तुलना प्राचीन संस्कृत भाषा से की जा सकती है। लेकिन चीनी अधिकारियों ने तिब्बत के स्कूलों में पढ़ाई के माध्यम के रूप में चीनी भाषा (मंदारिन) को लागू कर दिया है। इसी के चलते वहां विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक तौर पर हम विभाजन नहीं चाहते हैं। तिब्बत की भाषा, बौद्ध दर्शन, विज्ञान और धर्म बहुत समृद्ध हैं। हमें अपनी भाषा प्रिय है और अपनी भाषा पर गर्व है। उल्लेखनीय है कि दलाई लामा नौ दिवसीय यात्रा के सिलसिले में शनिवार को जापान पहुंचे हैं।
तिब्बत में हमारी भाषा पर लगा है बैन: दलाई लामा
[शनिवार, 6 नवम्बर, 2010 | स्रोत : नव भारत टाइम्स]
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