तिब्बत में स्वशासन के लिए अभियान चला रहे एक गुट ने कहा है कि एक बौद्ध भिक्षु के स्वयं को आग लगाकर मारने की घटना के बाद सैकड़ों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं.
लंदन स्थित ‘इंटरनेशनल कैंपेन फ़ॉर तिब्बत’ के अनुसार सिचुआन प्रांत के अबा शहर में एक युवा बौद्ध भिक्षु ने आत्मदाह किया है. ये घटना कीर्ति मठ की है.
हांलाकि आत्मदाह के कारणों की स्वतंत्र स्रोतों से पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन कहा जा रहा है कि भिक्षु तिब्बत में चीन की मौजूदगी का विरोध कर रहा था.
चीन के सरकारी मीडिया का कहना है कि भिक्षु की मौत इसलिए हुई क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने उसे अस्पताल तक नहीं पहुंचाने दिया. ये तनाव तिब्बत में चीनी सत्ता के विरुद्ध वर्ष 2008 में हुए बड़े प्रदर्शनों की तीसरी वर्षगांठ पर हो रहे हैं.
भिक्षु का नाम फ़ुंटसोक बताया जा रहा है. उत्तर भारत के धर्मशाला शहर में कीर्ति मठ से जुड़े भिक्षुओं का कहना है कि चीनी सशस्त्र बलों ने फ़ुंटसोक को लगी आग को बुझाने की कोशिश की और उसे सरेआम पीटा.
घटना से दुखी दलाई लामा
उसके बाद अन्य भिक्षु फ़ुंटसोक को वापस मठ के अंदर ले आए लेकिन गुरुवार को उसकी अस्पताल में मौत हो गई.
तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने बीबीसी को बताया कि वे इस घटना से दुखी हैं. उन्होंने तिब्बत की मौजूदा स्थिति की तुलना 1990 के तिआनमेन चौराहे के घटनाक्रम से की.
ख़बरों के अनुसार भिक्षु के आत्मदाह के बाद एक हज़ार से अधिक भिक्षु कीर्ति मठ के बाहर धरने पर बैठ गए. उनमें से कुछ को हिरासत में भी लिया गया है.
धर्मशाला में रह रहे कीर्ति मठ से जुड़े भिक्षुओं के मुताबिक अबा शहर में स्थिति शांत है और वहां विरोध प्रदर्शनों से