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धर्मशाला। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) में सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (डीआईआईआर) के संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय यूनियन और मानवाधिकार डेस्क ने 6 मिनट का वीडियो जारी किया, जिसका शीर्षक ‘फाइव प्रेसिंग ह्यूमन राइट वॉयोलेशन इन तिब्बत, ए ईयर इन रिव्यूदृ 2019 (तिब्बत में पांच गंभीर प्रकार के मानवाधिकार उल्लंघन- वर्ष 2019 की समीक्षा’) है।
लघु वीडियो में वर्ष 2019 में तिब्बत में मानवाधिकारों के सबसे बर्बर उल्लंघनों की समीक्षा की गई है। यह तिब्बत में आत्मदाह, मनमानी गिरफ्तारी, नजरबंदी, यातना और सजा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म एवं विश्वास की स्वतंत्रता और तिब्बतियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण घटनाओं पर प्रकाश डालता है।
2009 से 2019 के अंत तक तिब्बत में कम से कम 154 तिब्बतियों ने चीनी अधिनायकवादी शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन के प्रतीक के रूप में अपने शरीर को आग के हवाले कर दिया है। चीनी अधिकारियों ने अपारदर्शी चीनी कानूनी प्रणाली के तहत तिब्बतियों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार करना, हिरासत में रखना, प्रताड़ित करना और अनुचित रूप से सजा देना जारी रखा है। वर्ष 2019 में कार्यकर्ताओं, समुदाय के प्रमुखों और छात्रों सहित कम से कम 16 तिब्बतियों को अलग-अलग फर्जी घटनाओं में जेल की सजा सुनाई गई है।
तिब्बत में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ‘व्यवस्थित रूप से उल्लंघन’ हो रहा है। तिब्बत में निगरानी की सबसे कठोर प्रणाली के तहत तिब्बती लोगों के अभिव्यक्त िकी स्वतंत्रता के अधिकार को 2019 में लगातार कम किया गया था। इस दोरान नागरिक समूह बंद कर दिए गए और ऑनलाइन बातचीत को कड़ाई से बंद कर दिया गया। कई तिब्बतियों को ऑनलाइन टिप्पणी पोस्ट करने और परमपावन दलाई लामा के चित्रों को शेयर करने जैसे छोटे कार्यों के लिए भी गिरफ्तार किया गया।
तिब्बत में तिब्बतियों को चीनी नीतियों के तहत गंभीर धार्मिक दमन का सामना करना पड़ रहा है। चीनी सरकार ने तिब्बती बौद्ध केंद्रों के प्रशासनिक कार्यों पर अत्यधिक नियंत्रण कर लिया है। चीनी अधिकारी न केवल धार्मिक संस्थाओं को निशाना बनाते हैं बल्कि यहाँ तक कि तिब्बती समुदाय का आम आदमी भी राज्य द्वारा किए जा रहे धार्मिक दमन से बच नहीं सकता है। मई से जून 2019 के बीच लगभग 3,600 बौद्धों को याचेन गार से जबरदस्ती निकाला गया था। कई लोगों को ‘राजनीतिक पुनरू शिक्षा’ के लिए हिरासत केंद्रों में भेज दिया गया था, जहां वे मानसिक और शारीरिक कष्ट से पीड़ित हो गए।
आज भी चीन के कब्जे वाले तिब्बत में संस्थागत भेदभाव जारी है। स्कूलों में तिब्बती भाषा पढ़ने- पढ़ाने का अभाव, न्यायिक तंत्र तक सीमित पहुंच और तिब्बत में तिब्बतियों के लिए भेदभावपूर्ण नौकरी के अवसर स्पष्ट रूप से कायम हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बार-बार अपील के बावजूद चीन तिब्बत में मानवाधिकारों का उल्लंघन करता रहता है।
सीटीए के डीआईआईआर के अंतरराष्ट्रीय संबंध सचिव कर्मा च्योयिंग का कहना है कि, ‘तिब्बत में मानवाधिकारों का उल्लंघन साल दर साल बद से बदतर स्तर की ओर बढ़ता जा रहा है। चीनी अधिकारियों ने तिब्बती लोगों की सांस्कृतिक और नस्लीय पहचान को पूरी तरह खत्म करने के उद्देश्य से तिब्बती लोगों को दबाने के तरह तरह के तरीकों का इस्तेमाल किया है। यही समय है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पूरे साहस और प्रतिबद्धता के साथ तिब्बतियों और उइगर, दक्षिणी मंगोलियाई और हांगकांग जैसे अन्य उत्पीड़ित समुदायों का चीनी शासन द्वारा बर्बर दमन के खिलाफ उच्चस्तर पर अपना विरोध दर्ज कराए।‘
डीआईआईआर के मानवाधिकार डेस्क की सुश्री तेनजिन धादोन का कहना है, ‘चीन मानवाधिकारों को अपनी ताकत बनाए रखने में एक सामने खड़े खतरे के रूप में देखता है। चीन अपनी शक्ति को और मजबूत करने के लिए दमन पर निर्भर है। अब समय आ गया है कि सरकार को एकजुट होना चाहिए और चीन के दमन और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार प्रणाली पर हमले के खिलाफ चुनौती देने के लिए खड़ा होना चाहिए।
यह वीडियो वर्ष 2019 में तिब्बत में उपस्थित मानवाधिकारों की विकट स्थिति की व्यापक समीक्षा प्रस्तुत करता है।