तिब्बतनरिव्यू.नेट, 25 जनवरी 19
चीन ने तिब्बतन ऑटोनामस रिजन के चामडो प्रिफेक्चर-स्तरीय शहर के पांच काउंटिओं में खानाबदोशों और किसानों को न केवल नए निर्मित शहरी घरों में स्थानांतरित होने के लिए मजबूर किया है, बल्कि उन्हें नए घरों के लिए भुगतान भी कर दिया है। यह भी कहा कि ऐसा उनके गरीबी को कम करने के लिए किया गया है। तिब्बती समाचार सेवा rfa.org की 23 जनवरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि नए घरों में स्थानांतरित किए गए तिब्बती अब अपनी नई बस्तियों में दैनिक जीवन की जरूरतों को भी पूरा कर पाने में असमर्थ हैं, जबकि गरीबी हटाने में सहायता देने का वादा तो आगे भी पूरा होता नहीं दिख रहा है।
राज्य द्वारा आदेशित पुनर्वास योजना पहले से ही चामो के जोमडा, गोंजो, ड्रैगयाब और रिवोचे काउंटी में लागू की जा चुकी है। रिपोर्ट में एक स्थानीय स्रोत का हवाला देते हुए कहा गया है कि इन परिवारों को नए घरों के लिए 8,000 युआन का भुगतान भी जबरन कर दिया गया है। इसके अलावा, छंदो के पशो काउंटी में ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 40 परिवारों को भी काउंटी शहरों में स्थानांतरित कर दिया गया है। हालांकि उनमें से कई लोग स्थानांतरित नहीं होना चाहते थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने उन्हें स्थानांतरित होने के लिए हर तरह की सहायता का वादा किया था।
हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि इस तरह की सहायता तब दी जाती है जब तिब्बत के लोग बुद्ध की पूजा छोड़ देते हैं और इसकी जगह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फोटो की धार्मिक भक्तिभाव से पूजा करने लगते हैं।
रिपोर्ट में धर्मशाला स्थित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट के एक शोधकर्ता रिनज़िन दोर्जी का हवाला देते हुए कहा गया है कि चीन ने जबरन नई बस्तियों में बसाए गए तिब्बतियों के बच्चों को नौकरी, स्वास्थ्य देखभाल और मुफ्त शिक्षा देने के अपने वादे को पूरा नहीं किया है।