चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो में लोकतंत्र कायम है जिसमें तिब्बत और दलाई लामा को छोड़कर सभी मुद्दों पर निर्णय आमराय से किया जाता है। इन दोनों मामलों में केवल राष्ट्रपति हूं जिंताओ की चलती है।
जर्मनी से प्रकाशित पत्रिका डेर स्पीगल में वेबसाइट विकीलीक्स की ओर से लीक गुप्त अमेरिकी के हवाले से कहा गया है कि चीन स्थित अमेरिकी राजनयिक सूत्रों का मानना है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो में लोकतंत्र कायम है जिसमें 24 पुरुष और एक महिला सदस्य शामिल है।
सूत्रों के अनुसार, चीन की सत्ताधारी पार्टी के बाहर कोई भी यह नहीं जानता कि देश की इस शीर्ष सत्ताधारी ढांचे में क्या और क्यों निर्णय करता है। कोई भी यह नहीं जानता कि इसमें कौन क्या सोचता है, कौन किससे जुड़ा हुआ है और इसमें किसका प्रभाव है। इसमें सार्वजनिक बहस बहुत कम होती है।
मुद्दा चाहे कितना भी संवेदनशील क्यों न हो ऐसा बहुत कम होता है जब इसका निर्णय राष्ट्रपति हू जिंताओ या प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ करते हैं। इसके बजाय इसका निर्णय कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है। हालांकि जब ताईवान या उत्तर कोरिया के साथ संबंधों का नीतिगत मुद्दे पर निर्णय के लिए आते हैं इसे पोलितब्यूरो के सभी 25 सदस्य मिलकर करते हैं। कम महत्व के मुद्दों का निर्णय नौ सदस्यीय स्थायी समिति करती है।