तिब्बत.नेट, 15 फरवरी, 2019
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राष्ट्रपति डॉ लोबसांग सांगेय ने तिब्बत की वर्तमान स्थिति, तिब्बत-चीन संबंधों, वैश्विक राजनीति में चीन के बढ़ते प्रभाव और तिब्बती स्वतंत्रता के भविष्य जैसे मुद्दों को लेकर गुरुवार दोपहर येल पॉलिटिकल यूनियन में लगभग 50 प्रतिभागियों के साथ चर्चा की।
उन्होंने कहा, ‘तिब्बत दुनिया में सबसे कम स्वतंत्र क्षेत्रों में से एक है’। सांगेय ने कहा ‘जब चीन सरकार के विरोध में 153 तिब्बतियों ने आत्मदाह कर लिया, तब भी शायद ही कोई मीडिया कवरेज था क्योंकि चीन गंभीर रूप से मीडिया को प्रतिबंधित करता है।’
2012 से निर्वासित तिब्बती सरकार के राष्ट्रपति का जिम्मा् संभाल रहे सांगेय ने जोर देकर कहा कि वैश्विक पर्यावरण के मुद्दों, भू-राजनीति और संस्कृति में इसके उच्च प्रभाव के कारण पश्चिम में लोगों को तिब्बत को समझना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए सांगेय ने तिब्बत को दुनिया के तीसरे सबसे बड़े हिम ग्लेशियर रिजर्व, बौद्ध आस्था के केंद्रों में से एक, क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता और चीन और भारत के बीच बफर क्षेत्र के साथ इसके भौगोलिक महत्व के रूप में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
सांगेय ने तब अपने कई व्यक्तिगत अनुभवों को निर्वासित सरकार के अध्यक्ष के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि जब वह सार्वजनिक बयान देते हैं तो उन्हें अक्सर उन छात्रों के विरोध प्रदर्शन का सामना करना होता हैं जो चीनी पक्ष का समर्थन करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चीनी सरकार अक्सर उन्हें राजनीतिक नेताओं से मिलने से रोकने की कोशिश करती है क्योंकि वह तिब्बत मुद्दे की वकालत करने के लिए दुनिया भर में यात्रा करते हैं।
सांगेय ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘मैं चीनी दूतावास को बहुत व्यस्त रखता हूं।‘
तिब्बती लोगों पर चीनी ‘दमन’ की गंभीरता को बयान करते समय हालांकि सांगेय ने एक आशावादी स्वर बनाए रखा। उन्होंने कहा कि तिब्बती सरकार एक ‘बीच का रास्ता’ तलाश रही है जहाँ उन्हें ‘चीन के भीतर वास्तविक स्वायत्तता’ मिले, और वह चीनी कानून को स्वीकार करेंगे।
उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ते करने के लिए शांतिपूर्ण साधनों का उपयोग करने के महत्व को दोहराते हुए अपने संबोधन का समापन किया और बताया कि यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वे ‘संलग्न और सक्रिय रहें।‘ उन्होंयने प्रतिभागियों से भी तिब्ब त मुद्दे को लेकर जागरुकता फैलाते रहने का आह्रान भी किया।
येल पॉलिटिकल यूनियन के अध्यक्ष इलियट सेटर (20) ने इस संबोधन को ‘अभूतपूर्व’ बताया।
सेज़र ने कहा कि ‘वह इस मुद्दे के बारे में एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में बोलना चाह रहे थे जो छात्रों के अनुभवों से जुड़ा था’। उन्होंने कहा, ‘तिब्बती स्वतंत्रता के मुद्दे पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है क्योंकि चीन ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका हासिल कर ली है। और इससे यह सवाल पैदा होता है कि अमेरिकियों को चीनी सरकार की कार्रवाइयों का जवाब कैसे देना चाहिए।‘
सेटर ने कहा कि केल्संग डोल्मा (19), जो पहले तिब्बती सरकार में प्रशिक्षु के रूप में काम कर चुकी हैं, ने इस आयोजन की तैयारी में मुख्य भूमिका निभाई है।
डोल्मा ने न्यूज को बताया कि एक तिब्बती-अमेरिकी, येल में हिमालयन स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और संस्थापक और साधारण मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में वह मानती हैं कि सांगेय जैसे नेताओं की मेजबानी करना येल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिन्होंने दुनिया भर में तिब्बत की भू- राजनीतिक स्थितियों से अवगत कराया है।‘
डोल्मा ने कहा, ‘येल में प्रथम वर्ष दो तिब्बतियों के आने के साथ मुझे उम्मीद है कि हम कैंपस में अधिक तिब्बत संबंधी मुद्दों पर बातचीत कराने में सक्षम होंगी।‘
2004 में सांगेय हार्वर्ड लॉ स्कूल से डॉक्टर ऑफ ज्यूरिडिकल साइंस की डिग्री प्राप्त करने वाले पहले तिब्बती थे।